पहचान

पहचान

नमस्कार दोस्तों।
"तू खुद की खोज में निकल तू किसलिए हताश,
तू चल
तेरे वजूद की तो समय को भी तलाश हैं।"....

इंसान ईश्वर एक ऐसी रचना हैं जो स्वयं मैं एक चमत्कार हैं लेकिन मानव तो अपना जीवन यूं ही व्यर्थ कर देता हैं। शायद आपको ये सुनकर आश्चर्य होगा कि हम कितने असाधारण है, और जीवो की तुलना में। और दोस्तो आपको ये बात भी पता होगी कि मानव जन्म कितने सैकड़ों नहीं हजारों जन्म के पश्चात् मिलता है लेकिन हम इसकी कद्र नहीं करते।

दोस्तो आप निकल पड़े खुद को जानने के लिए कि आप किसलिए बने है ओर ये जान लेने के बाद उसको शिद्दत से एवम् पूरे समर्पण से पूरा करने में जुट जाओ।
जय हिन्द।

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