आलस का फल

आलस का फल

आलस एक ऐसी बीमारी है जिसकी दवाई डॉक्टर के पास भी नहीं होती। ये तो आपका सबसे बड़ा दुश्मन है, इसे आप अपने भीतर तनिक भी भटकने मत दो।

आज इसी आलस पर हम लाए एक बेहतरीन प्रेरणादाई कहानी, आइए पढ़ते हैं ये बेहतरीन रोचक कहानी-




आलस का फल
(Motivational Story In Hindi)


सेवा कुटीर गांव में एक छोटा सा गुरुकुल था, वहां सभी शिष्य गुरुजी के मार्गदर्शन में पढ़ा करते थे।


लेकिन, उन सभी बच्चों में एक विद्यार्थी बहुत आलसी प्रवृत्ति का था क्योंकि वो हर बार आज के काम को कल पर तो कल के काम को परसों पर टाल देता था। 


गुरूजी उसकी इस गंदी आदत से बेहद परेशान थे।


इस कारण गुरूजी ने काफी सोच विचार कर, उसे कैसे समझाया जाए इसके लिए एक रणनीति बनाई।


अगले दिन गुरूजी ने उसे कहां कि मैं तुम्हें ये एक काला पत्थर देने जा रहा हूं, इसे तुम किसी भी लोहे की चीज़ पर घिसोगे तो वो सोने की बन जाएगी।


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लेकिन, तुम्हारे पास कल सूर्यास्त तक का ही समय है। सूर्यास्त के बाद ये पत्थर काम करना बंद कर देगा और मैं तुमसे ये पत्थर भी वापिस ले लूंगा।


इतना कहकर गुरूजी वहां से चले जाते हैं।


आलसी शिष्य बहुत खुश होता है और मन ही मन वो नई नई चीजों को खरीदने के बारे में सोचता रहता है, और मन ही मन बड़ बड़ाता रहता कि मैं इस सोने का ये करूंगा, वो करूंगा फलाना, फलाना।


आलसी शिष्य ने बहुत सारे ख्वाब तो बुन लिए थे, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास नहीं कर रहा था।


आलसी शिष्य ने सोचा अभी तो मेरे पास बहुत सा समय है इसलिए अभी थोड़ी देर सो जाता हूं।


नींद में भी वो आलसी शिष्य बहुत बड़े बड़े सपने देख रहा होता है और बस सोचता ही रहता है।


आलसी शिष्य को सोचते सोचते पूरा एक दिन बीत जाता है।


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और, वो आलसी शिष्य अभी भी सोच ही रहा होता है। वो बड़ बड़ाता है कि अभी तो मेरे पास पूरी शाम पड़ी है।


मैं इन सभी अपने सपनों को बहुत जल्द ही पूरा कर लूंगा, इसलिए अभी थोड़ा आराम कर लेता हूं और फिर जब उठूंगा तब ही इन सपनों को भी पूरा कर लूंगा।


जब नींद से वो उठता है तो दोपहर हो जाती है फिर वो दोपहर का खाना खाने लग जाता है।


और, अब आलसी शिष्य घड़ी की तरफ देखता है तो सोचता है अभी तो पूरे 4 घंटे बचे हैं सूर्यास्त होने में, इतनी देर तक मैं क्या करूंगा, इसलिए थोड़ी देर आराम ही कर लेता हूं।


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आलसी शिष्य शाम को नींद से उठता है और घड़ी को देखकर दौड़ा दौड़ा बाहर भागता है और लोहे की चीज़ ढूंढने में लग जाता है।


लेकिन, रास्ते में गुरूजी उसे मिल जाते है, और उससे वो पत्थर वापिस ले लेते हैं और बोलते हैं अब तुम्हारा समय समाप्त हुआ, अब शाम हो चुकी है और सूर्यास्त भी हो गया है।


आलसी शिष्य को पछतावा होता है और उसे समय के महत्व का अहसास होता है।


सीख
(Moral Of The Story)


दोस्तों! हमारा भी ये ही हाल है, हम भी आज के काम को कल पर तो कल के काम को परसों पर टालते रहते हैं जिसके कारण वो काम कभी हो ही नहीं पाता। इसीलिए तो कहा गया कल कभी नहीं आता, जो करना है आज ही करो। 


हमें काम को कल पर नहीं टालना चाहिए। जितने भी सफल लोग इस धरती पर हुए है उन्होने समय का सदुपयोग किया है इसीलिए वो सफल हुए है, अगर हमें भी सफल बनना है तो हमें आज में जीना होगा।


उम्मीद करते है आपको हमारी motivational story in hindi कहानी से कुछ न कुछ सीखने को जरुर मिला होगा।


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