हमारे बुज़ुर्ग

हमारे बुज़ुर्ग

दोस्तो नमस्कार।

हमें अपने बुजुर्गों से कितना कुछ सीखने को मिलता है, हमारे बुज़ुर्ग आदर्श है परंतु हम इस आधुनिक युग में अपने ही धुन में रहते हैं। हम पता नहीं इतने आधुनिक होने की होड़ में क्यों लगे हैं जिसमें हम अपनी संस्कृति, सभ्यता, आदर्श, रिति-रिवाज को नष्ट करते जा रहे है।

हमे ये समझने की जरूरत है कि हमारे बुजुर्गों के पास ज़िंदगी का तजुर्बा हैं।

तो आओ दोस्तो हम शपथ ले अपने बुजुर्गों से सीखने की, उनकी बातो को समझने की, उनकी मदद करने की।

जय हिंद।

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