Story Of Flying Sikh

Story Of Flying Sikh

 STORY OF FLYING SIKH

    Story of Milkha Singh

    Flying Sikh के नाम से मशहूर Milkha Singh का जन्म 20 नवंबर 1929 (पाकिस्तान आंकड़ों के अनुसार) Pakistan के Govindpura में हुआ था। 

    हालांकि उनके passport पर जन्म की तिथि 1932 की लिखी हुई है, इसलिए उनका जन्म वर्ष अज्ञात ही है।

    Olympian Milkha Singh ने partition का बड़ा ही दुखदाई नरसंहार देखा था। 

    उनके माता पिता को उनकी ही आंखो के सामने मार दिया गया था। 

    विभाजन के बाद Milkha Singh ने भारत में रहना पसंद किया। वे अपने सभी भाई बहनों (14) से बिछड़ चुके थे।


    इस वजह से पीछे मुड़कर देखा


    Milkha Singh ने अपने career में 80 में से 77 race जीती थी लेकिन वे अपनी इन जीत से खुश नहीं थे। 


    उनकी एक सबसे सबसे बड़ी भूल उन्हें हमेशा परेशान करती रहती थी। 


    Actually 1960 के रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह एकदम अपनी जबरदस्त form में चल रहे थे। 400m की दौड़ में Milkha Singh से पूरे देश को gold medal की उम्मीद थी। 


    जैसे ही Milkha Singh stadium में उतरे तो पूरा stadium तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था, पूरे भारत में एक अलग ही प्रकार का माहौल बना हुआ था। 


    दौड़ शुरू होती है,धीरे धीरे Milkha Singh सभी athlites को एक एक कर पीछे छोड़ते जाते हैं।


    250 meter की दौड़ तक Milkha Singh सबसे आगे चल रहे होते हैं परंतु Milkha Singh पीछे मुड़कर देखते हैं कि कौन सा racer कहां पर है और उनकी इस गलती कि वजह से ही उनके हाथ से gold फिसल जाता है। 


    उसके बाद भी Milkha Singh चौथा स्थान हासिल करते हैं। उनकी ये ही भूल उन्हें आज भी परेशान करती है।


    American racer Otis Davis 44.9 सेकंड के साथ एक नया World record बनाते हैं। 


    Milkha Singh यहां Rome(Italy) olympic में अपने प्रदर्शन से इतने नाराज़ होते हैं कि वे retirement का मन बना लेते हैं, लेकिन बड़ी ही मशक्कत के बाद, समझाने-बुझाने के बाद वे मानते हैं।


    Milkha Singh Achievements and Awards


    *Milkha Singh ने 1958 Tokyo (Japan) में हुए Asian games में 200 meter और 400 meter gold  medal जीता था। ऐसा कारनामा करने वाले वे first Indian थे।


    *1962 में indonesia की capital Jakarta में हुए asian games में भी इन्होंने 400 meter में gold medal जीता था, मिल्खा सिंह भारत के ही makhan singh को हराकर 46.9 second का नया कीर्तिमान बनाया था।


    *1962 में katak (odisha) में हुए commonwealth games में भी Milkha Singh ने 400 meter की दौड़ में gold medal जीता था।


    *1964 में calcutta में हुए national games में 400 meter sprint में silver medal जीता था।


    *Milkha Singh ने लगातार 3 olympics 1956, 1960, 1964 में भारत की तरफ से प्रतिनिधित्व किया था। 1960 के Rome olympic में उन्होंने 4th position हासिल करके बहुत सारे नए world record भी बनाए थे।


    *1960 Flying Sikh का खिताब।


    *1959 में Padma Shree Award President Dr Rajendra Prasad (1950-1962) द्वारा दिया गया।


    *2001 में इन्हें अर्जुन पुरस्कार भी दिया गया लेकिन इन्होंने मना कर दिया था, इसकी वजह थी सरकार द्वारा बहुत देर से यह सम्मान दिया जा रहा था।


    Story of Flying Sikh 


    India Pakistan relation अच्छे करने के लिए दोनो देशों के बीच धावकों का एक sprint race का मुकाबला रखा गया। 


    जिसमें pakistan के famous तेज तर्रार धावक Abdul Basid kaadir और India की शान Milkha Sikh के बीच मुकाबला रखा गया।


    परन्तु Milkha singh ने दौड़ने से मना कर दिया क्योंकि उनको pakistan से नफरत सी थी। इसके बाद Pandit Nehru भारत के पहले प्रधानमंत्री जिन्हें Milkha Singh अपने पिता समान मानते थे और काफी respect करते थे, उनके द्वारा समझाने पर दौड़ने के लिए तैयार हो गए।


    पूरे देश में Milkha Singh का नाम ही छाया हुआ था, सबकी जुबान पर एक ही नाम था तो वो था बस मिल्खा सिंह का। 

    इस बड़ी ही रोमांचक दौड़ को देखने पाकिस्तान के राष्ट्रपति स्वयं stadium में आए थे। 


    रेस में मिल्खा सिंह अब्दुल बासिद कादिर को बड़े अंतर से पछाड़ देते हैं। 


    पाकिस्तान के President General Ayub Khan(1958-1969) मिल्खा सिंह से इतने प्रभावित होते हैं कि उन्हें मेडल देते वक्त उन्हें कहते हैं आज तुम दौड़े ही नहीं उड़े हो इसलिए आज हम तुम्हे फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं। 


    आज से तुम्हे सारा विश्व फ्लाइंग सिख के नाम से जानेगा।


    लेकिन मिल्खा सिंह इस खिताब से उतने खुश नहीं है क्योंकि आखिर उन्हें ये खिताब भी तो पाकिस्तन से जो मिला है।

    Milkha Singh

    Milkha Singh Interview


    मिल्खा सिंह जब अकेले पड़ गए थे, अनाथ हो गए थे। 


    तब उस बात के सन्दर्भ में 1 इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था तो उन्होंने कहा "जब पेट खाली हो तो देश के बारे में कैसे सोच सकता हूं,जब मुझे रोटी मिली तो देश के बारे में सोचना शुरू किया।"


    Milkha Singh Army Selection


    मिल्खा सिंह लगातार 3 बार सेना में भर्ती के लिए असफल हुए, आखिरकार उन्हें चौथी बारी में सफलता मिली और वह दौड़ में छठे स्थान पर रहे। उनकी तेज तर्रार, घोड़े से भी तेज, सरपट को देखते हुए उनको आर्मी में खेल प्रशिक्षण की तरफ ध्यान दिया गया। 


    मिल्खा सिंह घर से स्कूल,स्कूल से घर 10km की दूरी दौड़कर ही तय करते थे। वही अनुभव और अभ्यास उनके काम आया। 


    मिल्खा सिंह के जीवन में कई सारे लोगों का योगदान भी रहा।


    Milkha Singh Autobiography

    मिल्खा सिंह field sprinter ने अपनी आत्मकथा 'The Race Of My Life' अपनी बेटी sonia savalka के साथ मिलकर लिखी है। 


    इसी book से प्रेरित होकर movie bhaag milkha bhaag बनी है। 


    Milkha Singh अपनी किताब में लिखते हैं "एक खिलाड़ी के रूप में जीवन बहुत कठिन है लेकिन निश्चित रूप से ऐसा समय आता है जब आपका मन करता है कि या तो खेल छोड़ दे या फिर कुछ shortcut ले जिससे कामयाब हो सके लेकिन सबको याद रखना चाहिए कि success का कोई shortcut नहीं होता, कोई आसान रास्ता नहीं होता यदि शीर्ष तक पहुंचना है तो अपने अस्तित्व को समाप्त करना होता है।"

    Bhaag Milkha Bhaag


    Movie Bhaag Milkha Bhaag


    भाग मिल्खा भाग मिल्खा सिंह के जीवन पर based बनाई गई एक true story movie है जिसमें indian film actor farahan akhtar ने मिल्खा सिंह का किरदार निभाया है। 


    2013 में rakesh omprakash mehra द्वारा निर्देशित मूवी जनता द्वारा काफी पसंद की गई और box office पर बड़ी hit साबित हुई। 


    जब director Omprakash Mehra Milkha Singh के पास movie बनाने की अनुमति के लिए गए तो मिल्खा ने fees के रूप में एक रुपए की मांग की थी। 


    ये सुनकर omprakash mehra काफी emotional और प्रभावित हो गए थे।


    Omprakash Mehra ने काफी सोचकर Milkha Singh को 1958 में commonwealth games में पहली बार gold medal जीतने पर उस समय का 1 रुपए का नोट खोजकर Milkha Singh को भेंट किया जिसे ग्रहण कर Milkha Singh काफी emotional हो गए थे। 


    उन्होंने आज भी उसे एक स्मृति चिन्ह के रूप में संभालकर रखा हुआ है।


    Milkha Singh विश्व के एक महान धावक रहे और Karl Luis और तमाम athlete उन्हें विश्व का एक great athlete मानते रहेंगे।


    Milkha Singh की एक ख्वाइश है कि भारत athletic में गोल्ड लेकर आए। 

    भारत athlete में भी badminton, cricket, kabaddi,  wrestling जैसे अन्य खेलों की तरह अच्छा प्रदर्शन करें और athletics को भी अन्य दूसरे खेलों की तरह बढ़ावा दिया जाए।


    मृत्यु (Death Of Milkha Singh)


    सदी के एक महान स्प्रिंट धावक मिल्खा सिंह का  19 जुलाई 2021 को कोरोना वायरस से जूझते हुए 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया और उनकी धर्म पत्नी निर्मल कौर जो कि पूर्व भारतीय वॉलीबाल कैप्टन भी रही उनका भी कोरोना वायरस की वजह से निधन हो गया।


    मिल्खा सिंह बीते एक महीने से कोरोना वायरस का सामना कर रहे थे।




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