अमन और शांति की राह

अमन और शांति की राह

दोस्तों नमस्कार

आज के युग में मानव शांत रहना,चैन सब खो गया हैं क्योंकि वो पैसों को कमाने की होड़ में इस तरह लिप्त हो गया है कि अब उसे इसके अलावा कुछ सूझता ही नहीं. पैसा ही मानव के लिए सब कुछ हो गया है. क्या पैसा इतना जरूरी हो गया है कि हम अमन चैन की सांस भी ना ले सके. अगर व्यक्ति अमन चैन की सांस ना ले सके तो इसका मतलब तो यह हुआ कि व्यक्ति वास्तव में तो पैसा कमा रहा है लेकिन वास्तिवकता में वह उसे कमा नहीं रहा है क्योंकि वह एक दिन अवश्य बीमार पड़ जाएगा और उसका कमाया हुआ पैसा वहां खर्च हो जायगा. 



शान्ति और पैसा (Peace And Money) : अगर हम आपको कहे कि आप पैसे और शान्ति में से एक चीज़ चुनने को तो आप किसे चुनेंगे? जाहिर सी बात है आपमें से अधिकतर लोग पैसे को ही चुनेंगे और बेहद ही कम लोग ऐसे समझदार होंगे जो पैसे के साथ शान्ति चुनेंगे. पैसे के साथ शान्ति का सम्बन्ध तब ही कायम हो सकता है जब आप पैसे का सही उपयोग करते हैं. आपके पास अगर पैसे की अधिकता है तो आप इस पैसे को वंचित गरीब वर्ग में दान अथवा सेवा में खर्च करके समाज परोपकार कमा सकते हैं.

अधिक पैसे का विष अथवा घमंड (Arrogance Of Extra Money) - अमन अथवा शान्ति की जिन्दगी वही व्यक्ति निर्वाह कर सकता है जिसके भीतर घमंड की भावन ना हो. अक्सर इन्सान में दो तरीके से घमंड प्रवेश करता है पहला विद्या द्वारा और दूसरा पैसे द्वारा. दोनो ही घमंड व्यक्ति को चकना चूर कर देते हैं. जैसे कुबेर महाराज को पैसे का घमंड था तो गणेश जी ने उनके सारे वैभव को मिट्टी में मिला दिया था और इसी तरह रावण जो बड़ा तेजस्वी और बुद्धिमान था उसका भी सारा घमंड राम जी ने ध्वस्त कर दिया था. 


शान्ति मोक्ष का द्वार (Peace Is The Way Of Moksha) - मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी शान्ति से ही जुड़ा है. शान्ति का शब्द तो मात्र ढाई अक्षर का है लेकिन इस शब्द की महिमा अपरंपार है जिसकी कल्पना करना मात्र भी असम्भव प्रतीत होता है. ऋषि मुनि शांति प्राप्त करने के लिए विभिन्न तप करते थे इसके लिए वह विविध उपाय करते थे. हालांकि हमारा जन्म तो शान्ति प्रिय देश भारत में हुआ है. हमें तो इस बात पर गर्व करना चाहिए. हम लोगों को तो शान्ति विरासत में मिली है. परन्तु हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं और विदेशी कल्चर का अनुसरण करते जा रहे हैं.


गैजेट्स और शान्ति (Gadgets And Peace) - 70% से अधिक युवा पीड़ी social media के भयंकर चक्रव्यू में फंसी हुई है और 40% से अधिक युवा video game और social media फेसबुक, व्हाट्सएप आदि का उपयोग धड़ल्ले से कर रहे है जिसका  बहुत बड़ा प्रभाव उनके मन, मस्तिष्क पर पड़ रहा है और 30% से अधिक युवा gadegets का उपयोग गलत way में कर रहे हैं जिसका प्रतिकूल प्रभाव उनके जीवन पर पड़ रहा है. सोशल मीडिया के जाल से पीड़ित युवा शक्ति को हमें मुक्त कराके उन्हें सही track पर लाने की परम आवश्यकता है.


शान्ति और धैर्य (Peace And Patience) - शान्ति और धैर्य दोनो एक दूसरे के पूरक है. दोनों शब्दों का आपस में घनिष्ठ संबंध है. शांत व्यक्ति में धैर्य का गुण स्वाभाविक तौर पर होता ही है. अक्सर मैंने देखा है कि लोग अधिक बोलने वाले इन्सान से कई ज्यादा शांत रहने वाले व्यक्ति को बोलने वाले समय पर काफी गौर से सुना करते हैं. एक शांत व्यक्ति जब बोलता है तो वह अक्सर अधिक चिन्तन मनन करके बोल पाता है. अगर आप हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को अधिक समय तक पॉवरफुल स्पीच देते हुए देख पाते हैं तो यह उनका बचपन और युवा अवस्था में अधिक शांत होकर लोगों को ध्यान से सुनने के विशेष गुण के कारण सुन पाते हैं. एक अच्छा श्रोता एक अच्छा वक्ता बन पाता है और अच्छा श्रोता व्याक्ति अपने धैर्य के गुण से बन पाता है. धैर्य व्यक्ति को शान्ति से ही मिलता है इसलिए शान्ति और धैर्य में पूरक सम्बन्ध होता है.


हिंसा और अहिंसा (Violence And Non-violence) - शान्ति का दूसरा नाम अहिंसा है. महात्मा गांधी भी अहिंसा के पुजारी थे. गांधीजी के समस्त सत्याग्रह अहिंसा के मार्ग पर ही केन्द्रित थे. उन्होंने अपने इस मार्ग पर विजय भी प्राप्त करी. आज की क्रूर मानसिकता के शिकंजे में व्यक्ति को हिंसक बना दिया है. मैंने अक्सर लोगों को जरा जरा सी बातों पर चिल्लाते हुए देखा है, ये सब हिंसक प्रवृत्ति छोटे छोटे बच्चों में भी घर करती जा रही है जो एक चिन्ता का विषय है. हां, विषय ज़रूर छोटा है लेकिन गम्भीर ज़रूर है. इस पर हम सभी को मंथन करने की आवश्यकता है.


शांत कैसे रहे (How Can We Live Peacefully) - आज के समय में सबसे बड़ा सवाल यह है कि हम शांत कैसे रहे और अपनी प्रतिभा का पूरा पूरा इस्तेमाल कैसे करें. जिस इन्सान का जन्म भारत देश में हुआ और ऋषि मुनि जिस धरती की जन्म दाता रही है. वह आज इस प्रश्न को पूछ भी सकता है, बड़ी अजीब सी बात है. 

शांत एकाग्रचित मानव मेडिटेशन से बना जाता है. ध्यान वह क्रिया है जिससे हम अपनी दिव्य त्रि ज्योति को प्रज्वलित कर सकते हैं. 


शांत जीवन सुखी जीवन (Peacefully Life Is Best) - हम अक्सर बचपन में जब स्कूल जाते थे तो सुबह प्रार्थना के बाद हम होंगे कामयाब गीत ज़रूर गाया करते थे और उसमें हम एक लाइन "होगी शान्ति चारो ओर" ज़रूर गाया करते थे जो मेरी फेवरेट लाइन थी. इस पंक्ति में ही सारे संसार का सुख छिपा है. जिस प्रकार आज हम चिड़चिड़ेपन और डिप्रेशन, भोग विलास की जिन्दगी में लिप्त पड़े है ऐसी मानसिकता से ग्रस्त जीवन को दूर केवल शांतिमय जीवन से ही व्यतीत किया जा सकता है. इसके लिए ब्रह्मचर्य का मार्ग अत्यंत लाभकारी हो सकता है.


शांति और आतंकवाद (Peace And Terrorism) - शान्ति रूपी वातावरण आंतकवाद का सर्वदा सर्वदा नाश करने के लिए काफी है. अक्सर इन्सान शांत बुद्धि से निर्णय बेहतर और सटीक ले पाता है. जल्दबाजी में लिया गया निर्णय विध्वंस का कारण बनता है. आतंक जब ही उत्पन्न होता है जब प्रजा गुस्सैल होती है. प्रजा का गुस्सैल स्वभाव गलत निर्णयों से ही उत्पन्न होता है. इसे शान्ति के मार्ग द्वारा ही हल किया जा सकता है.


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