स्वामी विवेकानंद जी का प्रेरक प्रसंग
स्वामी विवेकानन्द जी (1863-1902) जिनका मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, जिनके गुरु रामकृष्ण परमहंस जी थे। आज हम इनकी एक अत्यंत प्रेरक कहानी की चर्चा करेंगे, जो कि आपकी मनोवृति में सकारात्मक परिवर्तन लाएगी ऐसी हमें उम्मीद है।
बात उस समय की है जब स्वामी जी को अमेरिका के शिकागो से बुलावा आया क्योकि रामकृष्ण जी का देहांत हो चुका था इसलिए उनकी धर्म पत्नी गुरु माता शारदा जी से आशीर्वाद लेने गए परंतु गुरु माता ने आशीर्वाद देने से मना कर दिया और कहा कि मैं किसी कारण के बिना आशीर्वाद नहीं देती और आगे कहा कल आना।
गुरुमाता की बात मानते हुए स्वामी जी कल फिर पुनः आए उस समय गुरु माता सब्जी काट रही थी तो उन्होंने स्वामी जी से चाकू मांगा तो स्वामी जी ने गुरु माता को चाकू पकड़ा दिया और साथ में ही गुरु माता ने स्वामी जी को आशीर्वाद भी दे दिया।
स्वामी जी को ये बात कुछ समझ नहीं आयी उन्होंने गुरु माता से पूछा, तब गुरु माता बोली कि जब कोई चाकू पकड़ाता है तो उसकी मूठ अपनी तरफ रखता है और धार वाला सिरा दूसरे को पकड़ाता है लेकिन तुमने बिल्कुल इसके उलट किया।
तुमने मूठ वाला सिरा मेरी ओर करा जबकि धार वाला सिरा अपनी ओर करा। इसलिए मुझे पूरा भरोसा है जिसके दिल में दूसरों के लिए इतना सेवा भाव, दया भाव, दुख दर्द समझने की क्षमता है वह व्यक्ति अपना कार्य जरूर पूर्ण करके ही आएगा।
तो दोस्तो देखा ऐसे थे हमारे स्वामी जी। उनके अंदर अद्भुत तेज और विलक्षण प्रतिभा थी। उन्होने शिकागो शहर में भारत के दर्शन बहुत ही बढ़िया ढंग से करा दिए थे और पूरा शिकागो शहर तालियों कि गड़गड़ाहट से उनकी स्पीच सुनकर गूंज उठा था और समूचा विश्व जगत भारत को विश्व गुरु जो आज कहता है उसमे स्वामी जी का बहुत ही महत्वूर्ण स्थान है जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा।
हम सबकी तरफ से स्वामी जी के निर्वाण दिवस पर आप सभी को उनकी पुण्य तिथि पर नमन करते हैं। एक योद्धा संन्यासी स्वामी विवेकानन्द जी को सदैव याद रखा जाएगा।
स्वामी जी के प्रेरक विचार :
https://motivationalwala.blogspot.com/2020/06/Vivekanandthoughts.html
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