संघर्ष की कविता

संघर्ष की कविता

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क्या काम का वो आज जिसमे तेरा कल नहीं


क्या काम का वो कल जिसमे तू सफल नहीं


सफल हो विफल नहीं


पल पल सोच नहीं फल तू


मेहनत कर छू ले आसमां तू


निराशा के बादल भी छट जाएंगे


फिर वही खुशियों के दिन आएंगे


सारे गम दूर हो जाएंगे


फिर वही उत्साह आएगा


जीवन संवर जाएगा


रोके नहीं कोई रोक पाएगा


चाहें ये जमाना कितनी ही पाबंदियां लगाएगा


तू है ये 


ये जान ले


अपने को स्टार मान ले


ना समझ अपने को कम


कोई नहीं अभी मत गीन अपने जख्म तू


अंदर से बहुत रोया है


ये वही व्यक्ति है जो कभी चैन से नहीं सोया है


समय को टूक टूक देखा है


हर क्षण प्रतिक्षण समय को समझा है


और बताया समय ही जीवन की रूप रेखा है


ये खेल ही ऐसा है


जिसमे हार ना जीत है


जो ये समझ जाय


वही जीवन की रीत है

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