दिवस की कविता

दिवस की कविता

दिवस की कविता




यह कविता है दिवस की


जिसने नहीं मनाया था 6 साल से कोई दिवस


Indian idol में आया था वो


Theatre round तक मुकाम पाया थ वो


सबके दिलों में छाया था वो


गायकी को कला बनाया था वो


बर्तन मांझता था वो


देखता था ख्वाब वो


एक दिन वो भी आया


जब उसने दीवाली का त्यौहार मनाया


मुश्किल को आसान बनाया


गांव में अपना टूटा घर बनाया


अख़बार, खबरों में छाया 


सचिन की भी वाह वाही पाया


सारे हिंदुस्तान ने सर आंखों पर चढ़ाया


किसी ने ये सही ही फरमाया


बड़े बड़े आंधी तूफान थम जाते हैं


जब आग लगी होती हैं सीने में


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