अमर्त्य सेन अर्थशास्त्र के सदियों पुराने विचारों को बदल दिया। उन्हें अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
उन्होंने अर्थशास्त्र के कल्याणकारी रूप को बताया और अकाल के वास्तविक कारणों को सामने रखा
भारत के क्रान्तिकारी अर्थशास्त्री : प्रो अमर्त्य सेन (Amartya Sen Biography In Hindi)
उनके अनुसार अकाल का कारण अनाज की कमी या उत्पादन में गिरावट नहीं, बल्कि निर्धन लोगों में अनाज खरीदने की क्षमता का अभाव है।
अनाज के दाम भी अधिक थे। निर्धनों को मजदूरी नहीं मिली।
उनका मत है कि निर्धनता का बड़ा कारण अशिक्षा है। अशिक्षित निर्धन लंबे समय तक निर्धनता झेलने के कारण इसे भाग्य ही समझने लगता है।
अमर्त्य सेन शिक्षा को मनुष्य के व्यवसाय और उसकी उन्नति से जोड़ते हैं। भारत में स्त्रियां जीवन भर परिश्रम करती हैं फिर भी उनका जीवन कठिनाई में रहता है। भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा यहां तक की वस्त्रों के बारे में भी पुरुषों के समान छूट नहीं होती है।
अकाल का एक कारण बाढ़े आना भी है। फसलों को हानि होती है तो क्रय शक्ति क्षीण हो जाती है।
सरकार का कर्तव्य है कि राहत व्यवस्था को ठीक रहे, जिससे किसान या निर्धन भुखमरी से न घिर जाए।
प्रो अमर्त्य सेन का जन्म शांति निकेतन में हुआ था। 1953 में कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करी फिर इंग्लैंड जाकर कैंब्रिज विश्वविद्यालय से एम ए और डॉक्टरेट किया।
देश लौटकर जादवपुर विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर अध्यक्ष हो गए।
1963 में दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में आ गए। 1971 तक वहां रहे, फिर इंग्लैंड चले गए। आज भी इंग्लैंड में काम कर रहे हैं।
वह ट्रिनिटी कॉलेज के अध्यक्ष हैं। 1960 में विवाह नवनीता से हुआ। नवनीता देव बंगला की प्रसिद्ध लेखिका है। इनसे दो संताने हुई, फिर अलगाव हो गया।
1977 में दूसरी शादी की। उसकी भी मृत्यु हो गई। तीसरा विवाह इंग्लैंड में एम्मा रोथ्सचाइल्ड से किया।
अमर्त्य सेन को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया है।
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