दोस्तो नमस्कार।
हमने हरेक मजहब धर्म बनाया। इंसान को हर मजहब में बाट दिया खुद इंसा ने। पता नही कितने सैकड़ों धर्म बना लिए हैं इंसान ने। सभी को पता हैं धर्म के नाम, ये बात तो बताना इतना जरूरी नहीं होगा।इसी बीच इंसान एक चीज भूल गया है और वो है इंसानियत। दोस्तो इंसान का सबसे बड़ा धर्म है इंसानियत। आज के युग में इंसान अंधा धुन पैसा कमाने की होड़ में लगा है और इस बीच वो इतना स्वार्थी बन गया है कि वो इंसान को अब इंसान नहीं समझता। उसे तो सिर्फ एक चीज की ही पड़ी है और वो है मैं सिर्फ मैं।ये युग जैसा कि सबको पता हैं कलियुग है, जो कि आखिरी युग हैं। इस युग में ही मानव का अंत निश्चित हैं तो क्यों हम ये बात नहीं समझते।हम क्यों इतना स्वार्थी पन में लिप्त हो जाते है कि इंसना को इंसान नहीं समझते। कहा लुप्त हो गई है हमारे देश की संस्कृति अतिथि देवो भवा वाली। दोस्तो हमें इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है अगर ये ही हालात रहे तो इंसान का अंत जल्द ही निश्चित हैं।तो दोस्तों जाग उठो फिर से अपने देश की परम्परा को बचाने के लिए।
हमने हरेक मजहब धर्म बनाया। इंसान को हर मजहब में बाट दिया खुद इंसा ने। पता नही कितने सैकड़ों धर्म बना लिए हैं इंसान ने। सभी को पता हैं धर्म के नाम, ये बात तो बताना इतना जरूरी नहीं होगा।इसी बीच इंसान एक चीज भूल गया है और वो है इंसानियत। दोस्तो इंसान का सबसे बड़ा धर्म है इंसानियत। आज के युग में इंसान अंधा धुन पैसा कमाने की होड़ में लगा है और इस बीच वो इतना स्वार्थी बन गया है कि वो इंसान को अब इंसान नहीं समझता। उसे तो सिर्फ एक चीज की ही पड़ी है और वो है मैं सिर्फ मैं।ये युग जैसा कि सबको पता हैं कलियुग है, जो कि आखिरी युग हैं। इस युग में ही मानव का अंत निश्चित हैं तो क्यों हम ये बात नहीं समझते।हम क्यों इतना स्वार्थी पन में लिप्त हो जाते है कि इंसना को इंसान नहीं समझते। कहा लुप्त हो गई है हमारे देश की संस्कृति अतिथि देवो भवा वाली। दोस्तो हमें इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है अगर ये ही हालात रहे तो इंसान का अंत जल्द ही निश्चित हैं।तो दोस्तों जाग उठो फिर से अपने देश की परम्परा को बचाने के लिए।
2 Comments
Gajab
ReplyDeleteThanks
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