कविता : अक्सर होता है वही
जो हम चाहते है नहीं
हमें जाना होता है कहीं
और पहुंच जाते है कहीं
लेकिन सफलता मिलती है वही
जहां डगर होती है सही
इंसान कदम तो बढ़ाता है
परन्तु क्यों वो हर बार अपनी मंजिल से भटक जाता है
अक्सर होता है वही
जो हम चाहते हैं नहीं
क्या भरोसा था
की पहुंच जाएगा वह
एक दिन मंजिल पर
ठोकर खाते खाते ही सही
क्या पता हो जाएगा सही
आखिर राही को पता कहां होता है
जाना है कहां
जैसे मुझे नहीं पता लिखना है क्या
कोशिश की तो लिख दिया
सुई से धागा सिल दिया
और एक सफलता का स्वेटर भी बुन दिया
अक्सर होता है वही
जो हम चाहते है नहीं
लोगो का जीवन बदल दिया
एक किस्सा ऐसा लिख दिया
सफलता ही नहीं पूरी कायनात में
काम ऐसा कर दिया
बच्चा बच्चा कुछ करने के लिए सोच में पड़ गया
एक किस्सा ऐसा लिखा दिया
अक्सर होता है वही
जो हम चाहते है नहीं
मैं क्यों कहता हूं
होता है वही, जो हम चाहते है नहीं
क्योंकि हर व्यक्ति चाहता है
क्या हर कोई करके दिखाता है
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