परीक्षा हो तो ऐसी

परीक्षा हो तो ऐसी

 आज की इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे बेहतरीन प्रेरणादाई कहानी (Motivational Story In Hindi)




परीक्षा हो तो ऐसी
(Motivational Story In Hindi)


बहुत पुरानी बात है रविदास नगर में एक आश्रम हुआ करता था, जहां पर दूर-दूर से बच्चे गुरु जी के पास शिक्षा लेने आया करते थे। रविदास नगर के आश्रम की बात ही बड़ी निराली थी, वहां के गुरु जी और उनकी शिक्षा का प्रभाव बच्चों पर ऐसा पड़ता था कि आश्रम से हर बच्चा हर विद्या में पारंगत होकर घर जाता था और जीवन के बड़े मुकाम को हासिल करता था। 


एक बार की बात है आश्रम में एक बड़ी ही रोचक और मजेदार घटना होती है।


नवीन और नीरज दो बड़े होनहार छात्र थे। उन दोनों की शिक्षा अब पूरी हो चुकी थी। उन्होने आश्रम में 5 साल की पढ़ाई मात्र 3 साल में ही पूरी कर ली थी। अब नवीन और नीरज दोनों का घर जाने का समय आ गया था।


लेकिन, गुरु जी ने उन्हें घर जाने से पहले एक और आखिरी परीक्षा लेने की ठानी।


गुरु जी ने उन दोनों से कहा अगर ये आखिरी परीक्षा तुम दोनों पास कर लेते हो तो तुम दोनों को घर जाने दिया जाएगा, अगर ये परीक्षा तुम पास नहीं कर पाते तो आश्रम में ही रहना पड़ेगा।


दोनों नवीन और नीरज परीक्षा देने के लिए तैयार हो जाते हैं।


गुरु जी उन दोनों को अपनी जादुई शक्ति से एक एक चिड़िया पकड़ा देते हैं और आगे कहते हैं कि इस चिड़िया को तुम्हें तब मारना है जब तुमको कोई नहीं देख रहा हो। अगर तुम ऐसा कर पाने में कामयाब होते हो तो वो छात्र अपनी परीक्षा में पास माना जाएगा और घर चला जाएगा।


नवीन और नीरज दोनों गुरू जी की बात मानकर चिड़िया को अपने साथ लेकर चले जाते हैं।


नवीन चिड़िया को एक अंधेरी सुनसान गुफा में लेकर जाता है, जहां पर वो और उस चिड़िया के अलावा कोई और नहीं होता है और वहां पर नवीन चिड़िया की गर्दन मोड़ कर उसको मार देता है और गुरु जी के पास ले जाता है।


गुरु जी नीरज की भी प्रतिक्षा करते हैं ताकि परीक्षा का निर्णय सुना सके।


जबकि नीरज बहुत देर से गायब है, अब रात होने को आ रही है परंतु नीरज अभी तक आश्रम नहीं आया…


बहुत अंधेरी रात होने के बाद आश्रम में नीरज थका हारा गुरु जी और नवीन को दिखाई पड़ता है।


गुरु जी देखते है कि नीरज तो चिड़िया को मारे बिना ही ले आया। गुरु जी उससे पूछते हैं, क्यों भई ऐसे कैसे बगैर कुछ करे इतनी देर लगा दी?


नीरज गुरु जी को अपनी पूरी कहानी सुनाता है। 


पहले मैं इस चिड़िया को अपने साथ नदी के तट पर ले गया वहां चिड़िया को सूरज देख रहा था इसलिए मैंने इस चिड़िया को नहीं मारा।


अब मैं इसको पहाड़ पर ले गया तो वहां बड़े-बड़े पेड़ थे तो मुझे लगा कि ये पेड़ चिड़िया को देख रहे हैं इसलिए मैं वहां से भी चला गया।


अब, मैं एक सुनसान पार्क में चिड़िया को ले गया। जैसे ही मैं इसकी गर्दन मोड़ रहा था तो मुझे ऐसा लगा कि मुझे कोई देख रहा है इसलिए मैं पार्क से भाग गया।


आखिर में, मैं एक बहुत ही अंधेरी और सुनसान गुफा में जाता हूं। वहां पर भी मैं चिड़िया को नहीं मार पाता हूं क्योंकि उस चिड़िया को मैं खुद और मेरा मन देख रहा होता है।


गुरु जी नीरज की बातों से बहुत प्रभावित होते हैं और उसकी परीक्षा को पास करते हुए कहते हैं कि तुम अब वास्तव में समझदार और नेक इंसान बन गए हो इसलिए तुम घर जा सकते हो।


और नवीन तुम्हें अभी कुछ और महत्वपूर्ण शिक्षा देना बाकी है इसलिए तुम अभी आश्रम में ही रहो।


बाद में गुरु जी मृत चिड़िया को अपनी जादुई शक्ति से जीवित कर देते हैं और नवीन अपनी कक्षा में चला जाता है।



सीख (Motivational Story With Moral)


हमें बुरे कर्मो से बचना चाहिए। हमें बुरे काम करने से पहले दस बार सोच लेना चाहिए। हम अक्सर ऐसा सोचते हैं कि हमें तो कोई देख ही नहीं रहा है परंतु वास्तव में हमारे बुरे कर्म हमें स्वयं खुद देख रहे होते हैं। 



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