ईमानदारी का इनाम

ईमानदारी का इनाम

  


बेहतरीन प्रेरणादायक कहानी
|| Best Motivational Story In Hindi||
ईमानदारी का इनाम

रमेशनगर के जंगलों के बीच में एक बहुत ही गरीब श्यामू नाम का पेंटर अपने परिवार के साथ रहा करता था। वह पेंटर अपना काम बड़ी ही ईमानदारी और लगन से किया करता था।


दिनभर की कमाई करने के बाद भी वो अपने परिवार को एक वक्त का ही खाना खिला पाता था। पेंटर का परिवार बड़ा था, उसकी पत्नी समेत घर में कुल 7 लोग रहते थे, कभी-कभी तो श्यामू पेंटर भूखा भी सो जाता था। श्यामू घर पर झूठ बोल दिया करता था कि उसे काम पर ही सेठ जी ने खाना खिला दिया है ताकि उसके बच्चे भरपेट खाना खा सकें।


श्यामू द्वारा दिन रात इतनी मेहनत करने के बाद भी बहुत कम पैसे कमा पाता था।


एक बार सेठ धनवंतरी ने अपनी नाव पर पेंट करवाने के लिए श्यामू पेंटर को बुलाया और श्यामू को नाव में पेंट करने के बदले 500 रूपए देने की बात तय हुई।


श्यामू पेंटर ने नाव को पेंट करके एक दम नया बना दिया। श्यामू जब नाव पेंट कर रहा था तो उसे नाव में एक बड़ा सा छेद दिखाई दिया उसने वो छेद भी लक्कड़ लगाकर भर दिया। 


सेठ धनवंतरी को नाव दिखाई तो सेठ जी ने श्यामू पेंटर के काम की तारीफ करते हुए कहा कल सवेरे पैसे ले जाना।


शाम को उस नाव में सेठ धनवंतरी का पूरा परिवार घूमने गया। इस दौरान सेठ के पास उनका नौकर रामदास आया और वो सेठ धनवंतरी जी से बोला कि सेठ जी नाव में तो छेद था, ये बात सुनकर उन्हें बहुत बड़ा सदमा लगा। अब सेठ धनवंतरी बहुत उदास खड़े थे और मन ही मन अपने परिवार के बारे में सोचे जा रहे थे।


अगले ही क्षण सेठ धनवंतरी जी क्या देखते हैं कि उनका पूरा परिवार मौज मस्ती करते हुए उनके पास आ रहा है। अपने पूरे परिवार को सही सलामत देखकर सेठ जी चैन की सांस लेते हैं।


सवेरे होने के बाद श्यामू सेठ जी के पास अपना मेहनताना लेने आता है। सेठ जी पेंटर से नाव में छेद के बारे में पूछते हैं तो पेंटर बता देता है कि वो गड्ढा उसने लक्कड़ लगाकर भर दिया था। सेठ श्यामू पेंटर को 500 रूपए की जगह उसे 5000 रूपए देता है। सेठ धनवंतरी जी श्यामू पेंटर की ईमानदारी पर उसकी बहुत तारीफ करते हैं, सेठ के बहुत समझाने के बाद श्यामू पेंटर 5000 रूपए रख लेता है।


सीख - हमें अपने काम को पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। हमें फल की चिंता करे बिना अपने काम करते रहने चाहिए अगर आपके कर्म अच्छे होंगे तो निश्चित रूप से आपको फल भी अच्छा ही मिलेगा।


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