मेहनत और लगन से कामयाबी मिलती हैं

मेहनत और लगन से कामयाबी मिलती हैं

बेहतरीन प्रेरणादाई कहानी

(Best Motivational Story)



1

 छोले चावल वाले की सफलता
(Motivational Story In Hindi)


राजू अपने ऑफिस में ठीक ठाक काम कर रहा होता है और उसका परिवार का भरण पोषण भी सही चल रहा होता है।


बच्चों की पढ़ाई और दादी की दवाई का खर्चा भी राजू अपनी सैलरी से बढ़िया से कर लेता था, और यहां तक की राजू अपनी सैलरी से कुछ पैसे बैंक में जमा भी करवा देता था।


और, हर रविवार राजू अपने परिवार के साथ कभी होटल खाना खाने तो कभी मूवी दिखाने ले जाता था। राजू और उसका परिवार सुकून से जिंदगी जी रहा होता है।


लेकिन, बढ़ते कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लग जाता है और कम्पनी के बढ़ते घाटे के कारण राजू को कंपनी वाले नौकरी से हटा देते हैं।


राजू उस दिन मायूस चेहरा लेकर ऑफिस से घर आता है और सारा दुखड़ा अपनी बीवी रजनी को बता देता है।


अगली सुबह राजू इधर उधर भतेरी कंपनी में नौकरी के लिए फोन करता है लेकिन, उसकी कहीं बात नहीं बनती।


अब, राजू को घर में बैठे बैठे 2 महीने का लंबा समय हो चुका था, पढ़ा लिखा होने के बाद भी उसके पास कोई काम नहीं था। घर में सेविंग्स भी खत्म हो चुकी थी।


राजू ने बच्चों की स्कूल की फीस और राशन की 2 महीने की उधारी भी नहीं दी थी।


अब राजू बहुत हताश और परेशान हो चुका था, और पूरी तरह से हिम्मत हार चुका था।


लेकिन, राजू की बीवी रजनी ने हिम्मत नहीं हारी थी। उसने राजू को छोले चावल बेचने का आइडिया दिया। राजू ने कहा घर में बैठने से तो अच्छा है! क्यों न छोले चावल ही बेच लिए जाएं!


रजनी ने कहा इसमें मैं भी तुम्हारी मदद कर दिया करूंगी।


इस प्रकार रजनी छोले चावल बनाती और राजू उन्हें अपनी बाइक पर रखकर बेचने के लिए निकल जाता। धीरे धीरे राजू का ये काम जम गया।


और, देखते ही देखते राजू और उसके परिवार की जिंदगी फिर से पहले जैसी हो गई।


सीख

 (Moral of Story)


हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। मुश्किल से मुश्किल समय में भी हमें अपनी जिम्मदारियों से नहीं भागना चाहिए बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए समाधान खोजना चाहिए जैसा कि इस कहानी में रजनी ने किया।




2

गरीब जरूर पैदा हुई लेकिन गरीब होकर नहीं मरूंगी

(Motivational Story In Hindi)

सरिता अपने परिवार में इकलौती लड़की थी। मां बाप और बेटी तीनों एक झोपड़ पट्टी में रहते थे। सरिता के पापा एक भाड़े की रिक्शा चलाकर घर का गुजर बसर करते थे।


जबकि, सरिता पढ़ाई में शुरू से ही होशियार थी। सरिता पैसों की कमी होने के कारण खुद छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्चा निकाला करती थी।


अब सरिता बड़ी ही चुकी थी, उसने बारहवी की परीक्षा पास कर ली थी। उसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत सरकार द्वारा 1 लाख रुपए मिलते हैं।


सरिता उस पैसे से नर्स बनने का कोर्स सीखती है और साथ में वो ब्यूटी पार्लर का कोर्स भी शुरू कर देती है।


सरिता के पापा उसके नर्स के कोर्स से बिल्कुल भी खुश नहीं थे और चाह रहे थे कि सरिता की मम्मी की तरह वो भी दो चार घरों में बर्तन या कपड़े धोने का काम पकड़ के चार पैसे घर में लाए।


लेकिन, सरिता के सपनो को तो कुछ और ही मंजूर था। 


सरिता अंदर से बहुत हिम्मत वाली और मेहनती लड़की थी। वह सुबह नर्स के कोर्स के लिए जाती और शाम को वहां से आने के बाद 2 घंटे ब्यूटी पार्लर में लगाती फिर रात को घर में खाना भी बनाती थी। 


यहां तक की सरिता ने शनिवार और रविवार को कोर्स की छुट्टी होने के कारण बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना भी शुरू कर दिया था।


सरिता का ब्यूटी पार्लर का कोर्स अब पूरा हो चुका था लेकिन, सरिता ने अब तो नर्स बनने की मानो जैसे जिद्द ही पकड़ ली थी।


अब सरिता का नर्स का कोर्स भी पूरा हो चुका था। अब वह जगह जगह बहुत से अस्पतालों में अपना इंटरव्यू देकर आती है और आखिरकार उसे एम्स अस्पताल में नौकरी मिल जाती है।


नर्स के कपड़ों में देखकर उसके पिताजी बहुत ही ज्यादा खुश होते हैं और उसे गले से लगा लेते हैं और अपनी पुरानी बातें जो उन्होंने सरिता को कही थी वो सोचकर थोडा दुखी भी होते हैं।


एक से डेढ़ साल में डॉक्टर सरिता के काम और उसकी मेहनत लगन को देखते हुए उसका परमोशन कर देते हैं और सरकार की तरफ से उसे एक बढ़िया सा घर भी मिल जाता हैं।


सरिता अपने मम्मी पापा के साथ झोपड़ पट्टी को छोड़कर उस नए घर में शिफ्ट कर जाते हैं।


सरिता के मम्मी पापा को अपनी बिटिया पर बहुत गर्व होता हैं और दोनो खुशी से सरिता को गले से लगा लेते हैं।


सरिता अपने पिताजी को भी अस्पताल में स्टोर कीपर की नौकरी पर लगवा देती है।


अंत में सरिता की शादी एक अच्छी फैमिली में हो जाती हैं।


सीख

(Moral of The Story)


हम अक्सर जरा जरा सी बात को लेकर लड़ने झगड़ने लगते हैं और मेरे पास ये नहीं हैं, वो नही हैं कहकर कुछ भी जीवन में हासिल नहीं कर पाते हैं। जबकि सरिता जैसे लोग इस दुनिया में अपने सपनों को पूरा करके दिखाते हैं, वो बहाने नहीं बनाते। दोस्तों! बाधाएं सबके जीवन में आती हैं लेकिन हम कैसे उनका सामना करते हैं ये हमारे ऊपर निर्भर करता है।


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