दो बेहतरीन प्रेरणादाई कहानी | Motivational Stories In Hindi

दो बेहतरीन प्रेरणादाई कहानी | Motivational Stories In Hindi

2 बेहतरीन प्रेरणादाई कहानियां, जो आपको भीतर से काफी कुछ सीखा सकती है।


#1

 ढाबे वाला और ट्रैक्टर वाला
(Best Motivational Story In Hindi)


तांजपुर गांव में एक बहुत ही मशहूर ढाबा हुआ करता था जिसमें रोज बहुत ही भीड़ लगी रहती थी। उसके मालिक राजू जिसे लोग राजू पठान के नाम से जानते थे, अपने काम से बेहद ही खुश था।


उसके ढाबे पर भीम ट्रैक्टर वाला भी रोज आया करता था। भीम का गुड का काम था। उसके कपड़े गुड में ही सने रहते थे। भीम काफी शक्तिशाली भी था। उसे अपनी शक्ति पर भी कुछ ज्यादा ही घमंड था।


भीम को अपनी मूछों और दादी का भी बड़ा ही घमंड था। बैठे बैठे वो अपनी मूछों की ही तारीफ करता रहता था।


वो ढाबे में लोगों को बेवजह परेशान किया करता था और ढाबे में तोड़ फोड़ खाना खाने से ज्यादा किया करता था। भीम दूसरे लोगों को भी तंग किया करता था, और उनसे मार पीट तक छोटी छोटी बातों पर करने लगा था।


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अब आलम यह था कि राजू पठान के ढाबे पर कोई भी ग्राहक भीम के डर के कारण नहीं आता था। बस, केवल भीम ही आता था।


राजू पठान का काम बुरी तरह ठप पड़ चुका था। अब, राजू पठान भीम को अच्छा खासा सबक सिखाना चाहता था ताकि वो आगे से ऐसा करने की सोच भी न पाए।


राजू ने इस बार भीम के ट्रैक्टर में पंचर करने की योजना बनाई लेकिन, भीम ने उसे पंचर करते हुए देख लिया, और बेचारा राजू पठान एकदम तेजी से वहां से भाग गया।


राजू पठान समझ चुका था कि वो भीम को ताकत से नहीं हरा सकता हैं, उसने अब दूसरी युक्ति लगाई।


राजू पठान ने अपने ढाबे में एक बहुत ही चिपचिपी गुड से बनी हुई चीज छुपाकर कुर्सी के नीचे रख दी जिसके ऊपर थोड़ी ही देर में मक्खियों का झुंड जमा हो गया।


और, थोड़ी देर में भीम भी ढाबे पर आ गया क्योंकि भीम की शर्ट हर दम गुड से सनी हुई होती थी इसलिए मक्खियां उसकी शर्ट पर भी जाकर बैठ गई और उसकी दाढ़ी, मूछों में भी घुस गई, भीम जोर जोर से दर्द के मारे चिल्लाने लगा और वहां से भाग गया। फिर दोबारा कभी, भीम; राजू पठान के ढाबे में नहीं आया, 


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और अब राजू पठान के ढाबे में फिर से उसके ग्राहकों ने आना शुरू कर दिया हैं; राजू खुशी खुशी से फिर से अपना ढाबा चलाने लगा हैं। राजू पठान ने अपने ढाबे की सुरक्षा के लिए दो पहलवान भी अब रख लिए हैं। 


सीख (Moral Of The Story)


हमें कभी भी अपनी शक्ति पर घमंड करके अपने से छोटों को परेशान नहीं करना चाहिए। हमें सबके साथ मित्रवर व्यवहार करना चाहिए।




#2
जादुई तलवार
(Motivational Story In Hindi)


पांडवनगर के राजा को शिकार करना बहुत अच्छा लगता था। राज जब भी शिकार पर जाता था तो राघव शिकारी को अपने साथ ले जाता था।


राघव शिकारी का निशाना अचूक था, उसका हरेक निशाना एक दम सही और सटीक होता था।


ऐसे ही एक बार जब राजा शिकार पर गए हुए थे तो उन्हें हिरन दिखा जिस पर उनका निशाना लग ही नहीं पा रहा था, फिर उन्होंने राघव को उसका शिकार करने के लिए कहा और राघव ने तो पहले ही प्रयास में हिरण को मार दिया।


राजा राघव पर अब बहुत विश्वास करने लगे थे और राघव उनका अब एक सच्चा विश्वासपात्र बन चुका था।


राघव का घर और खर्चा पानी राजा की कृपा से अच्छा खासा चल रहा था। राघव को अपने जीवन से कोई शिकायत नहीं थी।


लेकिन, अब राजा बूढ़े हो चुके थे और उनकी तबियत अब ठीक नहीं रहती थी। राजा के आखिरी दिन अब नज़दीक ही थे। राघव शिकारी राजा की मरते दम तक सेवा करता है, परंतु राजा को वह बचा नहीं पाता हैं। 


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राजा मरने से पहले राघव शिकारी को एक जादुई तलवार देकर जाते हैं और कहते हैं इस तलवार को मैंने अपने लालची और निकम्मे बेटे से छुपाकर रखा हुआ था ताकि मैं इसे किसी सच्चे और ईमानदार इंसान को दे सकूं और आज वो समय आ गया हैं इसलिए मैं ये जादुई तलवार तुम्हें सौपता हूं। 


राजा ने आगे कहा अगर इस जादुई तलवार को कोई भी बेईमान और लालची व्यक्ति छूने का भी प्रयास करेगा तो वो भस्म हो जाएगा। इतना कहने के बाद राजा मर गया। राघव शिकारी घर जाकर उस जादुई तलवार को अपनी अलमारी में छुपा देता हैं।


अब, राजा का बेटा पांडवनगर की राजगद्दी पर बैठता है। लालच, घमंड तो उसके अंदर शुरू से ही था और राजगद्दी पर बैठते ही सबसे पहले वो राघव शिकारी को अपने राजमहल से बाहर निकाल देता हैं और बहुत से जुर्म अपनी प्रजा पर भी करने लगता हैं।


अब, बेचारा राघव बेरोजगार हो चला था और उसके पास बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो चली थी कि अपने परिवार का गुजर बसर वो कैसे करे। थोड़े दिनों बाद राघव शिकारी को एक जमींदार के यहां खेतीबाड़ी का काम मिल जाता है और वहीं अपना काम करना शुरू कर देता है लेकिन अब बड़ी ही मुश्किल से वह अपने परिवार का गुजर बसर कर पाता था।।


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एक दिन राघव का बेटा रज्जू बहुत ज्यादा बीमार पड़ जाता हैं और राघव शिकारी सोच में पड़ जाता हैं कि मैं अपने बेटे का इलाज कैसे करवाऊं क्योंकि राघव के पास तो दो वक्त के खाने के पैसे ही बड़ी मुश्किल से हो पाते थे। बड़ा सोचने के बाद राघव को राजा की दी हुई जादुई तलवार की याद आती हैं।


और, जैसे ही वह तलवार को बाहर निकालता हैं और अपनी परेशानी बताता हैं तो जादू से उसके सामने ढेर सारे पैसे आ जाते हैं जिनकी मदद से राघव अपने बेटे का इलाज करवा पाता हैं और कुछ ही दिनों में उसका बेटा ठीक हो जाता है।


अब राघव और उसका बेटा रज्जू दोनों, उस जादुई तलवार की मदद से गरीब लोगों की मदद करने लगते हैं। कहीं वो कपड़े तो कहीं राशन गरीब लोगों को देने में लग जाते हैं। 


राजा के एक खबरी को उस जादुई तलवार का पता चलता हैं तो वो भागा भागा राजा के पास ये खबर पहुंचा देता हैं। अब राजा मन ही मन सोचता हैं कि अगर वो जादुई तलवार मेरे पास होती तो मैं दुनिया का सबसे अमीर राजा बन जाउंगा।


इसी लालच में राजा, राघव शिकारी के घर रात को जादुई तलवार चोरी करने जाता हैं। 


राजा जैसे ही उस तलवार को छूता हैं तो वो जलके भस्म हो जाता हैं।


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अगले दिन फिर से वे दोनों राघव शिकारी और उसका बेटा गांव के लोगों की मदद और सेवा के लिए निकल जाते हैं।


सीख

(Moral Of The Story)


लालच, घमंड और बेईमानी इंसान के तीन सबसे बड़े शत्रु हैं, इंसान को इन तीनों बुराइयों को अपने भीतर से उखाड़ फेंकना चाहिए।




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