Top 8 Motivational Stories

Top 8 Motivational Stories

 8 प्रेरणादाई कहानियां जो आपको भीतर से काफी कुछ सिखाएंगी, आइए पढ़ते हैं बेहतरीन प्रेरणादाई कहानियां।



    मदद के हाथ
    (Short Moral Story In Hindi)


    एक बार की बात हैं राजू की पत्नी का एक मोटरसाइकिल से एक्सीडेंट हो गया था और उसके माथे से काफी खून बह रहा था राजू अपनी पत्नी को एम्स अस्पताल लेकर तुरंत जाता हैं।


    लेकिन, लाइन में लगने के चक्कर में और इधर उधर दौड़ भाग के कारण उसकी पत्नी का काफी खून बह चुका था।


    ये सारा दृश्य वहीं पास में बैठा एक गरीब अनपढ़ आदमी सब देख रहा था और वो तुरंत एक परचून की दुकान से चाय की पत्ती का पैकेट लेकर आता हैं और उसका लेप बनाकर राजू की पत्नी के माथे पर लगा देता हैं, जिसकी वजह से उसका खून बहना बंद हो जाता हैं।


    इस प्रकार एक गरीब और अनपढ़ आदमी अपने अनुभव से डॉक्टर के इलाज को भी फेल कर देता हैं और उस औरत की जान बचा लेता हैं। बाद में डॉक्टर द्वारा उसका पूरा इलाज चलता हैं और वो कुछ ही समय बाद पूरी तरह से ठीक हो जाती है।


    आखिर में डॉक्टर कहते हैं अगर ये चाय की पत्ती का लेप नहीं लगाया गया होता तो शायद हम आपकी पत्नी को नहीं बचा पाते।


    राजू जब हॉस्पिटल ले कमरे से बाहर उस आदमी का शुक्रिया करने आता हैं, तब तक वह आदमी वहां से जा चुका था।


    सीख 

    (Moral Of The Story)


    अगर हमारे ज़हन में किसी की मदद करने की सूझे तो हमें उसकी मदद ज़रूर करनी चाहिए, जैसा कि उस अनपढ़ और गरीब आदमी ने किया। क्या पता आपकी एक मदद से किसी व्यक्ति को कितनी तकलीफ से छूटकारा मिल जाए और फिर मदद करने के बाद हमें जो फीलिंग होती हैं वो बहुत ही शानदार होती हैं।



    खुद को तराशने की जिद्द
    (Motivational Story In Hindi)


    एक बार की बात हैं एक मूर्तिकार के घर में एक बेटा हुआ और वो बड़ा होकर एक नामी मूर्तिकार बनना चाहता था उसने अपने पिता से मूर्ति बनाने की कला बचपन से ही सीखनी शुरू कर दी थी। 


    वो सारा दिन मूर्तियों को तराशने में ही लगा रहता था और धीरे धीरे वो एक अच्छे मूर्तिकार बनने की कगार पर आ चुका था।


    अब मूर्तिकार का बेटा बड़ा हो चुका था, अब वो अपने पिता की मदद के बगैर ही सुंदर सुंदर मूर्तियां बनाया करता था।


    लेकिन, जब भी वो अपने पिता से मूर्ति के बारे में पूछता कि मूर्ति कैसी बनी हैं तो उसके पिता हर बार उसकी मूर्ति में कोई न कोई कमी निकाल ही देते थे।


    जब वो अपनी मूर्ति में कमी की बात सुनता तो वो मन ही मन और मजबूत हो जाता और दोबारा मूर्ति को तराशता तथा उसे ओर सुंदर बनाने में जुट जाता।


    ऐसा करते करते उसकी मूर्ति अच्छे दामों में बिकने लगी। 


    वो एक बार फिर अपनी मूर्ति को पिता के पास लेकर गया लेकिन इस बार भी उसके पिता ने मूर्ति में कमी निकाल दी और फिर वो दोबारा मूर्ति को और सुंदर बनाने में लग गया।


    ऐसा करते करते उसकी मूर्ति में हर बार एक नयापन और अलग ही तरह की सुंदरता आ जाती थी और उसे अब पहले से ज्यादा मूर्तियों के दाम मिलने लगे थे।


    लेकिन, उसके पिता की मूर्ति के दाम पिछले कई सालों से एक ही थे और बढ़ ही नहीं रहे थे।


    एक बार मूर्तिकार के बेटे ने गणेश जी की बहुत ही सुंदर मूर्ति बनाई और इस उम्मीद से की उसके पिता इसकी बहुत तारीफ करेंगे इसलिए उस मूर्ति को वो उनके पास ले गया, लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी उसके पिता ने मूर्ति में कमी निकाल ही दी।


    इस बार उससे नहीं रहा गया और उसने अपने पिताजी की एक बात न मानी और वैसी की वैसी मूर्ति उसने बेच दी और गुस्से में अपने पिता से अब राय लेना भी छोड़ दिया।


    अब क्या था उसकी मूर्ति के दाम बढ़ने बंद हो गए और अब उसकी मूर्ति कई सालों से एक ही दाम पर बिक रही है।


    सीख (Moral Of The Story)


    हमें कभी भी खुद को संतुष्ट नहीं होना चाहिए, हमें दिन प्रतिदिन खुद को बदलते रहना चाहिए और अपनी प्रतिभा को बढ़ाते रहना चाहिए। जैसा कि कहानी में, मूर्तिकार का बेटा भी खुद को और बेहतर करने की जिद्द नहीं छोड़ता तो उसकी मूर्ति भी ऊंचे दामों में बिकती रहती।



    मेरे पास सिर्फ प्लान ए हैं
    (Short Motivational Story)


    बहुत पुराने समय की बात हैं, एक राज्य जामनगर पर पड़ोसी राज्य रासनगर से हमला होने वाला था, और उस पड़ोसी राज्य की विशाल सेना के सामने जामनगर की सेना बहुत ही छोटी थी।


    जामनगर का राजा बेहद चिंतित था, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। तब राजा ने अपने दरबार के सबसे चतुर मंत्री झिंगा लाला को बुलाया और सुझाव मांगा।


    झिंगा लाला ने कुछ देर सोचा। फिर उसने सभी राज दरबारियों और राज्य की सारी जनता को राज दरबार में बुलवाने के राजा से कहा।


    मंत्री के कहे अनुसार राजा ने अगले ही एक घंटे बाद सारी प्रजा और सिपाहियों को राज दरबार में इकठ्ठा करवा दिया।


    अब, सभी के सामने मंत्री झिंगा लाला ने बोलना शुरू किया।


    देखो, सभी मेरे प्यारे देशवासियों हमारी मौत तो निश्चित हैं ही। अब हमें मौत से क्या डरना लेकिन दुश्मन राज्य से हमारे ऊपर अभी हमला हुआ नहीं है इसलिए उनके हमला करने से पहले हमें उन पर हमला कर देना चाहिए।


    मुझे नहीं लगता कि वो अभी युद्ध के लिए तैयार होंगे, अभी उनकी तैयारी पूरी नहीं होगी इसलिए यहां ये ही बेहतर है कि हम उनसे पहले उन पर हमला कर दे, इससे हमारे जीतने के चांस भी बढ़ सकते हैं।


    हमारे पास केवल और केवल एक ही ऑप्शन हैं और वो हैं युद्ध और हमारे पास खोने को भी कुछ नहीं हैं। हमारा युद्ध अपने अस्तित्व को बचाने का है।


    मंत्री की बात सुनकर सभी के अंदर एक जोश और उत्साह भर गया। राजा को भी मंत्री का सुझाव अच्छा लगा और युद्ध के लिए अगले ही पल राजा अपनी सेना लेकर पड़ोसी राज्य पर कूच कर गया और उसकी प्रजा भी उसके साथ युद्ध में पीछे पीछे हो ली।


    और, आखिर में क्या हुआ कि उस छोटी सी सेना ने पड़ोसी राज्य की विशाल सेना को तहस नहस कर दिया।



    सीख

    (Moral Of The Story)


    अगर आपके पास केवल और केवल प्लान ए हो ना, तब आपके जीतने की संभावना अधिक हो जाती हैं।



    अब सब अच्छा होकर रहेगा
    (Story In Hindi)


    अगर आप भी अपने जीवन में निराश, हताश और उदास बैठे हैं और आपको सफलता नहीं मिल पा रही है या फिर जो आप चाह रहे हैं वो आपको नहीं मिल पा रहा तो ये कहानी सिर्फ आपके लिए ही है।


    एक बार एक राजा ने अपनी प्रजा की परीक्षा लेने की सोची और एक बड़ा सा पत्थर जो कि काफी भारी था, बीच सड़क पर रख दिया और खुद बगल में एक पेड़ के नीचे छुप गए।


    वहां से सैकड़ों लोग निकले और पत्थर को देखा लेकिन किसी ने हटाया नहीं, बहुत सारी गाडियां और ट्रैफिक निकला लेकिन किसी ने भी पत्थर को वहां से नहीं हटाया।


    लेकिन, वहीं पर एक चलते मुसाफिर मिस्त्री की नज़र उस पत्थर पर पड़ी तो उसने पत्थर को हटाना शुरू कर दिया, लेकिन पत्थर बहुत भारी था। उसके हरेक प्रयास में पत्थर बस ज़रा सा ही हिलता, वो मिस्त्री कोशिश करता रहा और उसके आखिर 10 से 12 प्रयासों में वो पत्थर बीच सड़क पर से हटाने में सफल हो जाता हैं। 


    जब वो पत्थर हटा रहा होता हैं तब मिस्त्री को एक कागज का एक पर्चा मिलता है और उसके साथ 100 सोने की अशरफिया मिलती हैं। मजदूर कागज पढ़ता है तो उसमें लिखा होता हैं कि मैं तुम्हारी परीक्षा ले रहा था, और तुम मेरी परीक्षा में सफल हुए हो इसलिए ये भेट स्वरूप 100 सोने की अशरफिया दे रहा हूं।


    सीख

    (Moral Of The Story)


    दोस्तों, ऐसे ही हमारी जिंदगी में भी न एक बड़ा सा पत्थर रखा हुआ हैं। अगर आप उसे हटाने की कोशिश कर रहे हैं तो ठीक है अगर नहीं कर रहे तो आज से ही करना शुरू कर दीजिए। आज नही तो कल, एक न एक दिन वो पत्थर जरूर हटेगा और फिर जो आपका लक्ष्य होगा वो मिल जाएगा। अर्थात कोशिश करते रहिए, कोशिश करना मत छोड़ो।



    विचारधारा का है खेल सारा
    (प्रेरणादायक हिंदी कहानियां)


    एक बार की बात है विराट नगर में एक बड़ा ही खूंखार और विशालकाय राक्षस रहता था। पूरे विराटनगर में उस राक्षस ने अपना आतंक मचा रखा था।


    वहां के लोग उसको मारना चाहते थे लेकिन इसके आतंक के आगे उसे मारना तो दूर की बात कोई उसे सर उठाकर भी देखने से कतराता था। 


    विराटनगर में उस राक्षस के कारण मानो सब कुछ ठप सा पड़ गया था। कोई बच्चा स्कूल नहीं जा रहा था और कोई भी बंदा अपनी नौकरी पर नहीं जा रहा था। उन्हें डर था कि कहीं वो राक्षस उन्हें खा न जाएं।


    अगले ही दिन की बात हैं पास के चौराहे पर, उस राक्षस का मृत शरीर पड़ा हुआ था। सभी लोग हैरानी में पड़ गए और सोचने लगे ये हुआ कैसे। मानो गांव में फिर से एक खुशी की लहर सी दौड़ उठी थी।


    राक्षस के शरीर पर कुछ निशान देखकर गांव के लोग समझने लगे कि उसकी मौत सांप के काटने से हुई है।


    वहींं पास में एक ऋषि में खड़े थे और उनकी सब बातें सुन रहे थे। ऋषि लोगो के पास आए और बोले कि इसकी मौत सांप के काटने से नहीं हुई है बल्कि इसकी मौत का कारण तो इसकी जहरीली सोच है।


    फिर ऋषि लोगों को पूरा किस्सा सुनाते हैं। ऋषि कहते हैं कि एक बार मैं यहीं पास जंगल में से तपस्या करने जा रहा था तो मैने इस राक्षस को देखा और यू ही मजाक मजाक में कह दिया कि तेरी मौत 10 दिनों में एक सांप के काटने से होगी और अगर तूने ये 10 दिन सांप से बचकर निकाल दिए तो तू मौत पर विजय पा लेगा।


    और, क्या था अब वो राक्षस हर रोज, हर घंटे, हर मिनट अपनी मौत के बारे में ही सोचता रहता था। धीरे धीरे उसने 9 दिन निकाल दिए। अब दसवें दिन को पूरा होने में केवल 1 मिनट बचा हुआ था। उस राक्षस ने अपनी मदद के लिए भी उस ऋषि को अपने साथ बुला लिया था।


    राक्षस एक कमरे में कैद हो गया और उसने अपने पूरे शरीर को पांच - छः चादरों से ढक लिया। इसी बीच ऋषि ने मजाक मजाक में उसे एक सुई चुभा दी और राक्षस समझा कि उसे सांप ने काट लिए है।


    अब वो राक्षस ये ही सोचता रहता कि अब तो मैं मर जाऊंगा और इसी डर के बार बार सोचने के कारण वो डिप्रेशन में चला गया और उसकी मौत हो गई।


    सीख

    (Moral Of The Story)


    आज कल के युवाओं की सोच भी जहरीली हो गई है और वो हर क्षण अपने कैरियर को लेकर तनाव में रहते है और लक्ष्य प्राप्त न होने पर आत्महत्या तक कर लेते हैं, हमारे जीवन में अवसरों की कमी नहीं हैं। हमें अपने जीवन की वैल्यू को समझना चाहिए और डिप्रेशन, तनाव जैसे घातक अवसादों को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए, इसके लिए हमें अपने जीवन में मेडिटेशन को शामिल करना चाहिए।



    बुरी आदत एक बार जम जाए तो लंबी जाए
    (Moral Stories In Hindi)



    एक शहर में काफी धनवान व्यक्ति था उसका मूर्तियों का बिजनेस बहुत अच्छा चला करता था और उसकी मूर्तियों को लोग बाग दूर दूर के शहरों से खरीदने तक आया करते थे।


    लेकिन, वो अपनी बिगड़ी हुई औलाद से बहुत परेशान था। उसका एक ही बेटा था और वो बहुत ज्यादा शराब पीता था इसी गंदी आदत के कारण उसको तरह तरह की बीमारियों ने घेर लिया था।


    अब, उसका पिता उसे इतनी बुरी हालत में नहीं देख सकता था। जब भी उसका पिता अपने बेटे से शराब पीने की गंदी आदत को छोड़ने के लिए कहता तो वो सिर्फ ये कहता अभी मेरी उम्र ही क्या हैं! मैं तो अभी बहुत छोटा हूं 


    और, ऐसा कहते कहते उसने कभी अपनी इस गंदी आदत को छोड़ने तक का भी प्रयास नही किया और उसकी ये गंदी आदत अब दस बारह साल पुरानी हो चुकी थी।

    अब उसके मुंह से खून भी निकलने लगा था, और उसके पिता ने अब इसे हॉस्पिटल में एडमिट करा दिया था। 


    वहां पर भी वो चाहकर भी अपनी शराब पीने की गंदी आदत को नहीं छोड़ पा रहा था, आखिर में डॉक्टर के काफी कोशिश करने के बाद भी वो नहीं बच सका और उसकी इसी गंदी आदत के कारण मृत्यु हो गई।


    सीख

    (Moral Of The Story)


    हमें बुरी आदतों को समय रहते जल्द से जल्द छोड़ देना चाहिए। अगर इनको जल्द से जल्द न छोड़ा जाए तो ये नासूर बन जाती हैं जिसका निदान कर पाना बेहद मुश्किल होता है।



    हौसलों की उड़ान
    (Moral Story In Hindi)


    रमेश का सपना था कि वो माउंट एवरेस्ट की चोटी तक चढ़े और वो एक दिन आता है जब वो अपनी तैयारियों को पूरा करने के लिए लग जाता है। 


    जब वो एवरेस्ट के पास पहुंचा तो उसकी हिम्मत टूटने लग जाती हैं और वो सोच में पड़ जाता हैं कि इतनी ऊंची चोटी की वो चढ़ाई कर भी पाएगा। मानो उसके हौसले पस्त होने लग गए हो।


    पास में से ही एक ज्ञानी संत बैठे होते हैं और वो उस मुसाफिर को बेचैन, परेशान देख उससे इसकी वजह पूछते हैं।


    तो, संत उसकी बातों पर पहले तो हंसते हैं। फिर उसको सलाह देते हैं कि तुम इसलिए निराश हो कि तुम ये सोच रहे हो कि तुम चोटी पर कब पहुंचोगे, कैसे पहुंचोगे ये सोच सोचकर बेवजह ही परेशान हुए जा रहे हो।


     जबकि, तुम्हें अभी केवल अपने अगले कदम पर ध्यान देना चाहिए और ऐसे हरेक कदम पर ध्यान देते देते तुम कब में को चोटी पर पहुंच जाओगे तुम्हें खुद भी नहीं पता चलेगा, इसलिए तुम खाली अभी अपने अगले कदम पर ही ध्यान दो।


    इस प्रकार वो संत की बात मानकर अपने एक एक मंजिल पर ध्यान देते देते माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई भी पूरी कर लेता हैं और अपने सपने को साकार कर लेता हैं। बाद में सरकार द्वारा उसको 1 करोड़ की राशि इनाम स्वरूप भी दिए जाते हैं।


    सीख

    (Moral Of The Story)


    बड़ी बड़ी सफलता पाने के लिए छोटे छोटे कदमों से ही आगे बढ़ा जाता हैं। दूर खड़ी सफलता को सोच सोचकर कभी पार नहीं किया जा सकता। उसके लिए छोटी छोटी योजनाएं बनानी पड़ती हैं, फिर उनसे ही बाद में बड़ी सफलता भी हासिल हो जाती हैं। वो कहावत हैं न कि 'बूंद बूंद से घड़ा भरता है, एकदम सही और फिट बैठती है इस कहानी में।' 




    प्यारी तितली का संघर्ष
    (Moral Stories In Hindi)


    एक बगीचे में एक नन्ही सी तितली बड़ी तितली के खोल से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रही थी, और बहुत ही मुश्किल से वो थोड़ा थोड़ा बाहर निकल पा रही थी।


    वहां क्रिकेट खेल रहा एक छोटा बच्चा उस नन्ही तितली को बड़े ही गौर से देख रहा था। उसके यार दोस्तों के घर चले जाने के बाद वो बगीचे में उस तितली को बार बार देखे जा रहा था, आखिर उसने कभी ऐसा दृश्य कभी देखा भी तो नहीं था।


    उसे ये सब देखकर तितली के प्रति अपने उमड़े प्रेम के कारण उस पर काफी दया आ गई और उसने बड़ी तितली के पंख को थोड़ा सा कैंची से काट दिया ताकि नन्ही तितली आराम से बाहर निकल सकें।


    नन्ही तितली खोल से बाहर तो आसानी से निकल गई, लेकिन वो निकलने के बाद कभी उड़ नहीं पाई।


    सीख

    (Moral Of The Story)


    संघर्ष के बगैर जीवन बेकार सा लगता है। अगर वो तितली अपने संघर्ष करने के बाद खोल से बाहर निकलती तो निश्चित रूप से वो उड़ान भर पाती। ऐसा ही हमारे जीवन में होता हैं, हम अपने जीवन को सफल बनाने के लिए कभी कभी दूसरों की बातों में आकर, तो कभी खुद ही संघर्ष करना छोड़ देते हैं जिससे हमारा जीवन, जीवन भर के लिए पंगु बन जाता हैं इसलिए दोस्तों संघर्ष ही जीवन हैं और ये संघर्ष ही आपको सफल बनाएगा, इसका दामन मत छोड़िए और इसे जारी रखिए फिर निश्चित रूप से जीत आपकी ही होगी।





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