हार के आगे जीत है
(Moral Story In Hindi)
खिलौनापुर गांव में चंदेल नाम की गुफा से लोग बहुत डरा करते थे। उस गुफा में जो भी जाता था वो वापिस लौटकर कभी नहीं आता था।
खिलौनापुर गांव में बहुत से लोग उस गुफा में जा चुके थे, लेकिन वापिस कोई नहीं आया था।
परसों ही एक नवयुवक दीपक गांव में आया था। उसे इस बात पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हुआ। भला आज के मॉडर्न पढे लिखे जमाने में ऐसा कहां होता है।
दीपक ने गुफा में जाने का फैसला किया। जब गांव वालों को इस बात का पता चला तो सभी उसे समझाने के लिए उसके घर इक्ट्ठा हो गए और उसे समझाने लगे कि तुम आखिर क्यों मरना चाहते हो, अगर इस गुफा में गए तो वापिस कभी नहीं आओगे।
सबकी बातों की परवाह किए बिना दीपक उस गुफा में चला जाता है।
गुफा में थोड़ा अंदर आने के बाद बहुत अंधेरा हो जाता है। दीपक अब धीरे धीरे गुफा के काफी अंदर आ गया था। दीपक को लग रहा था कि कोई उसका पीछा कर रहा है
जब वो पीछे मुड़कर देखता है तो उसे चार आदमी दिखते हैं जो कि उसे पकड़कर एक जगह पर छोड़ देते हैं।
दीपक देखता कि जगह तो बहुत ही सुंदर है और सभी सुख सुविधाएं भी यहां पर मौजूद हैं।
उन चार लोगों ने दीपक को बताया कि हम भी इस गुफा में आए थे लेकिन यहां की सुख सुविधाओ को देखकर हम यहीं रुक गए। हमने तुम्हें डराने के लिए धक्का दिया था….
दीपक भी वहां की सुख सुविधाओ को और वहां की सुंदरता को देखकर वहीं रुक जाता है।
और, अब गांव वालों का डर और पक्का हो जाता है कि इस गुफा से कोई भी लौटकर नहीं आता।
सीख
(Moral Of The Story)
इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमें कभी भी कुछ नया काम शुरु करने से पहले डरना नहीं चाहिए।
जैसे हम एक बिजनेस शुरु करना चाहते हैं तो हम उससे पहले दस बातें सोचने लग जाते हैं कि मैं अगर ये करूंगा तो 'ऐसा होगा, वैसा होगा' 'लोग ये कहेंगे लोग वो कहेंगे'...फलाना फलाना फालतू की बातें सोचने लगते हैं।
ये ही सब चीजें सोचकर इंसान अपनी तमाम उम्र बिता देता हैं और बाद में एहसास होता है कि काश यार वो ही नया काम शुरु कर लेते।
कहानी में अगर वो गांव वाले भी उस गुफा में चले जाते तो शायद उनका जीवन भी दीपक जैसा बढ़िया होता।
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