मानव सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। इसको करने से मन को जो शांति मिलती है, वह बाज़ार की किसी भी दुकान पर नहीं मिल सकती। आइए पढ़ते हैं ये बेहतरीन moral story in hindi for students
चांदी का बर्तन
एक समय की बात है एक गांव में काफी धनी व्यक्ति रहता था जो अपने द्वार से किसी को भी खाली हाथ नहीं जाने देता था।
एक बार उस सज्जन पुरुष के द्वार पर एक भिखारी आया....
उस भिखारी की लाचारी को देखकर उस व्यक्ति की आंखें भर आई....
उसने कुछ देर तक उस भिखारी को देखा....
फिर उसे कुछ दान देना चाहा....
और अपने घर से एक कटोरा लाकर उसे दे दिया।
उस भिखारी ने कहा कि उसके पास भीख मांगने तक के बर्तन नहीं थे जो कटोरा उन्होंने दिया, वह कटोरा काफी अच्छा है.....
इस सुंदर कटोरे को किसी दुकान में देकर कुछ पैसे ले लूंगा....
और अपना कुछ दिन का खाना जुटा लूंगा....
ये बड़ बड़ाकर वह उस व्यक्ति के द्वार से आगे बढ़ गया....
कुछ समय बाद....
उस व्यक्ति की पत्नी जब उसके घर आई तो उस सज्जन पुरुष ने पूरी घटना का बखान उसके आगे कर दिया...
उसने बताया कि एक छोटा सा सुंदर कटोरा उसने एक भिखारी को दिया है जो भिखारी उसे दुकानदार को बेचकर उससे कुछ दिन का खाना इकट्ठा कर लेगा....
उसने अपनी पत्नी से कहा कि तुम घर में नहीं थी वरना उसे कुछ खाने को भी दे देता।
तभी उसकी पत्नी रसोई घर में जाकर अपने बर्तन को देखती है और बताती है कि उसके पति ने एक चांदी का बर्तन उस भिखारी को दान में दे दिया।
यह सुनकर दोनों के होश उड़ जाते है....
वह व्यक्ति कुछ देर के लिए सोच में पड़ जाता है कि अब क्या किया जाए? उसने एक चांदी का सुंदर कटोरा उस भिखारी को दान में दे दिया है।
व्यक्ति उस भिखारी को ढूंढने निकलता है और वह रास्ते में यह विचार करता है कि वह जब भिखारी से मिलेगा तो उससे क्या कहेगा???
कुछ देर ढूंढने के बाद उसे वह भिखारी गांव में किसी और के दरवाजे पर मिलता है....
वह व्यक्ति जब उस भिखारी से मिलता है तो उसकी लाचारी पर उसे फिर से दया आ जाती है।
और वह उससे कहता है कि यह कटोरा चांदी का है।
इसे तुम बेचकर कुछ पैसे इकट्ठा कर सकते हो....
और अपनी गरीबी को मिटाने के लिए कोई व्यापार शुरू कर सकते हो।
यह सुनकर गरीब भिखारी को काफी अच्छा लगता है और उसकी आंखों से आंसू निकलने लगते हैं।
वह मान जाता है कि इस दुनिया में आज भी एक से एक दानवीर मौजूद हैं।
सीख
(Moral Of The Story)
जब हम किसी चीज को दान में देते हैं तो दोबारा उसे पाने की लालसा नहीं रखनी चाहिए। दिया हुआ दान अगर मांग लिया जाए तो वो दान नहीं कहलाता। सेवा अगर करें तो पूरे मन से करें, आधे अधूरे मन से नहीं।
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