राम प्रसाद बिस्मिल || Ramprasad Bismil History In Hindi

राम प्रसाद बिस्मिल || Ramprasad Bismil History In Hindi

आजादी के 75 वर्ष बीत चुके हैं अभी भारतवर्ष में आज़ादी के इस पर्व को अमृत उत्सव के रुप में मनाया जा रहा है आइए हम भी इस उत्सव में शामिल होए और पढ़े राम प्रसाद बिस्मिल जी की प्रेरक सच्ची कहानी (Real Life Historical Story) :

 


राम प्रसाद बिस्मिल भारत के वीर सपूत
(Ram Prasad Bismil)


जब भी देशभक्ति की बात होती है तो आज भी एक गाना आंदोलनकारियों के लिए प्रेरणा के स्रोत बनता है मेरा रंग दे बसंती चोला।


आज भी जब युवा इन गानों को सुनता है तो उसके अंदर देशभक्ति की भावनाएं उफान मारने लगती हैं।


यह गीत महान क्रांतिकारी भारत मां के सच्चे वीर सपूत और आजादी के आंदोलनकारियों के सबसे लोकप्रिय कवि राम प्रसाद बिस्मिल ने लिखे थे।


जब जब भारत के स्वाधीनता इतिहास में महान क्रांतिकारियों की बात होगी तब तब भारत मां के इस वीर सपूत का जिक्र होगा।


राम प्रसाद बिस्मिल एक महान क्रांतिकारी ही नहीं बल्कि उच्च कोटि के कवि शायर अनुवादक बहु भाषाविद और साहित्यकार भी थे।


इन्होंने अपनी बहादुरी और सूझबूझ से अंग्रेजी हुकूमत की नींद उड़ा दी थी और भारत की आजादी के लिए केवल 30 साल की उम्र में अपने प्राणों की आहुति दे दी।

बिस्मिल उपनाम के अतिरिक्त विराम और अज्ञात के नाम से भी लेख व कविताएं लिखते थे।


उनकी प्रसिद्ध रचना मेरा रंग दे बसंती चोला गाते हुए ना जाने कितने क्रांतिकारी देश की आजादी के लिए फांसी के तख्ते पर झूल गए।


राम प्रसाद बिस्मिल ने मैनपुरी कांड और काकोरी कांड को अंजाम देकर अंग्रेजी साम्राज्य को हिला दिया था।


लगभग 11 वर्ष के क्रांतिकारी जीवन में उन्होंने कई पुस्तकें लिखी और स्वयं ही उन्हें प्रकाशित किया।


उनके जीवन काल में प्रकाशित हुई लगभग सभी पुस्तकों को ब्रिटिश सरकार ने जप्त कर लिया था।


पार्टी के कार्य हेतु धन की आवश्यकता पूरी करने के लिए बिस्मिल ने सरकारी खजाना लूटने की योजना बनाई।


उनके नेतृत्व में कुल 10 लोगों जिनमें (अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, चंद्रशेखर आजाद, सचिंद्रनाथ बक्शी, मन्मथनाथ गुप्त, मुकुंदी लाल, केशव चक्रवर्ती, मुरारी शर्मा और बनवारी लाल आदि शामिल थे) ने लखनऊ के पास काकोरी स्टेशन पर ट्रेन रोककर 9 अगस्त 1925 को सरकारी खजाना लूट लिया।


26 सितंबर 1925 को विश मिल्खा के साथ पूरे देश में 40 से भी अधिक लोगों को काकोरी डकैती मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।


उसके बाद उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई जिस दिन उन्हें फांसी दी जानी थी उस दिन बिस्मिल्लाह सुबह कसरत कर रहे थे। उन्हें कसरत करता हुआ देख जेलर आश्चर्य में आ गया। जेलर ने उनसे पूछा तुम्हें कुछ ही घंटे में फांसी होनी है कसरत क्यों कर रहे हो?


बिस्मिल ने जवाब दिया था कि वह भारत माता के चरणों में अर्पित होने वाले फूल हैं उन्हें मुरझाया हुआ नहीं होना चाहिए बल्कि स्वस्थ व सुंदर दिखना चाहिए।


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