एक हजार जूते | Akbar Birbal Ki Kahani

एक हजार जूते | Akbar Birbal Ki Kahani

Akbar Birbal Hindi Story बड़ी ही रोचक और मनमोहक होती है। अकबर बीरबल की कहानी पढ़ने के बाद हम शिक्षाप्रद बातें सीखते हैं। आइए पढ़ते हैं ऐसी ही एक रोचक Akbar Birbal Ki Kahani



एक हजार जूते
(Akbar Birbal Story In Hindi)


यह बात उस समय की है जब अकबर भारत के राजा थे। बादशाह अकबर समय-समय पर अपने मंत्रियों की परीक्षा लेते रहते थे ताकि उन्हें अपने मंत्रियों पर यकीन हो कि वह जो भी फैसला ले रहे हैं वह सही ले रहे हैं।


खासकर वह बीरबल की परीक्षा हमेशा लिया करते थे क्योंकि बीरबल उनके खास मंत्री थे और बीरबल की सलाह को हमेशा अकबर मानते थे।


ऐसे ही एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल की परीक्षा लेने की सोची और यह जानने का प्रयास किया कि क्या बीरबल का दिमाग पहले जैसा तेज है या नहीं????


इसके लिए उन्होंने अपने एक सिपाही से बीरबल के जूते को कहीं दूसरी जगह छिपाने को कह दिया।


राजा अकबर ने सिपाही को यह हिदायत दी थी कि किसी भी तरह बीरबल को जूते मिलने नहीं चाहिए इसलिए सिपाही ने उन जूतों को बहुत ही महफूज जगह छुपा दिया। 


दिनभर बीरबल महल में थे इसलिए उन्हें जूते की जरूरत नहीं पड़ी और वह जूते के पास नहीं गए लेकिन जैसे ही शाम हुई और दरबार की छुट्टी हुई तो बीरबल के घर जाने का समय हो गया।


घर जाने के लिए बीरबल अपने जूते को पहनने गए जहां वह अपने जूते को रखे थे लेकिन जब बीरबल वहां पर पहुंचे तो वहां पर उनका जूते थे ही नहीं।


ऐसे में वह जगह जगह पर जाकर अपने जूतों को खोजने लगे। बीरबल ने पूरा महल छान लिया लेकिन कहीं भी उनको जूतें नहीं मिलें। 


राजा अकबर सब चीज देख रहे थे और बीरबल के ऊपर से मजे ले रहे थे।


बीरबल के बहुत ढूंढने के बाद भी जब उनके जूते नहीं मिलें तब राजा अकबर ने बीरबल का उपहास उड़ाते हुए कहा कि बीरबल क्या हुआ जूते नहीं मिल रहे हैं तो ना ही सही।


चलो मैं तुमको अपनी तरफ से एक जोड़ी जूते देता हूं जो पहनकर तुम अपने घर चले जाना।


ऐसा कहते हुए उन्होंने अपने एक सिपाही से कहा कि सिपाही बीरबल को नए जूते दिए जाएं। 


सिपाही ने बीरबल को नए जूते दे दिए। यह सारी बातों को देखकर बीरबल को यह समझते हुए देर ना लगी कि जरूर यह राजा अकबर का ही कोई चाल है।


बीरबल राजा अकबर की सारी चाल समझ गए और उन्होंने जूते तो ले लिए।


लेकिन उसके बाद ऊपरी प्रशंसा दिखाते हुए कहा कि हुजूर आपने मुझे नए जूते दिलाए इसके लिए मैं आपका शुक्रगुजार हूं।


मैं आपको यह आशीर्वाद देता हूं कि आप जहां कहीं भी जाएं चाहे किसी भी लोक में जाएं। आपको ईश्वर इसी तरह के एक हजार जूते दे। 


बीरबल की इस बात को सुनकर अकबर हंसने लगे और वहां के सभी दरबारी चकित होकर बीरबल का मुंह देखने लगे।


अपने हाजिर जवाब से बीरबल ने एक बार फिर राजा अकबर के साथ-साथ सारे दरबारियों का दिल जीत लिया।


बीरबल के इस जवाब को सुनकर अकबर को फिर से यकीन हो गया कि नहीं अभी भी बीरबल का दिमाग पहले के जैसा ही तेज तरार है।


उसके बाद राजा अकबर ने बीरबल के पुराने जूते भी वापस कर दिए और बीरबल को सारी बातें बता दी कि यह सारी चीजें बीरबल की जांच के लिए की गई थी। 


सीख
(Moral Of The Story)


हमें अंधाधुंध काम करने के बजाय अपनी बुद्धि का भी प्रयोग करना चाहिए। बुद्धि लगाकर किया गया काम मेहनत से किए गए काम पर हरदम भारी पड़ता है।



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