जैसा सोचते हैं वैसा नहीं होता | Moral Story In Hindi

जैसा सोचते हैं वैसा नहीं होता | Moral Story In Hindi

अक्सर इंसान मन ही मन पता नहीं कितना सोचने लग जाता है और बेवजह की सोच सामने वाले के प्रति बना बैठता है। आइए पढ़ते हैं ये बेहतरीन moral story in hindi 


जैसा सोचते हैं वैसा नहीं होता

(Moral Story In Hindi)


ट्रेन में बापू बेटा सफर कर रहे थे।


पिता खिड़की के बगल में बैठे थे तभी पुत्र ने खिड़की के बगल में बैठने की जिद की।


पिता खुशी खुशी उसे खिड़की के बगल में बैठने की अनुमति दे देते हैं और वह बच्चा खिड़की के बाहर देखने लगता है। 


कुछ देर बाद जब ट्रेन चलती है तो चिल्लाने लगता है और....


अपने पिता से कहता है कि देखिए खिड़की के बाहर नदियां पीछे जा रही है हरे भरे पेड़ भी।


सूरज भी पीछे जा रहा है हर चीज देखकर वह बड़ा हैरान हो रहा था।


मगर एक 24 वर्ष के लड़के की इन हरकतों को देखकर लोग उसे पागल समझने लगे


और कुछ लोग तो उसकी हंसी भी उड़ाने लगे। 


कुछ देर बाद गाड़ी में बैठे बाकी यात्री उसे देखकर हंसने लगे और अलग अलग बातें बनाने लगे



तब उनमें से एक व्यक्ति उस लड़के के पिता के पास आता है।


और आकर कहता है कि आपके बेटे की हरकत सामान्य नहीं है इसे आप किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?


पिता कुछ देर उसे देखते है, उसके बाद उससे कहते है कि हम अभी-अभी एक अच्छे डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं जहां इस बच्चे का इलाज सफलतापूर्वक हो चुका है। 


पिता कहते है कि उनका बच्चा बचपन से ही अंधा था उसकी आंखों में रोशनी नहीं थी।


और अब जाकर एक अच्छे डॉक्टर के चिकित्सा के बाद इस बच्चे को किसी दूसरे व्यक्ति की आंखें मिली है जिस वजह से वह दुनिया को बाकी लोगों की तरह देख पा रहा है।


24 वर्ष की उम्र में जब यह सारी चीजें लोगों के लिए आम नहीं होती उस वक्त इस लड़के के लिए यह सब बिल्कुल एक छोटे बच्चे की तरह नई है।


इस वजह से वह हैरान हो रहा है। 


यह जानने के बाद हर कोई काफी शर्मिंदगी महसूस करता है। 


सीख

(Moral Of The Story)


हमें इस कहानी से यह सीखते हैं कि अलग-अलग लोगों की अलग-अलग परेशानियां होती हैं बिना किसी के बारे में पूरी सच्चाई जाने हमें गलत अवधारणाएं नहीं पालनी चाहिए। 


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