मूर्खों का बहूमत | Moral Story In Hindi

मूर्खों का बहूमत | Moral Story In Hindi

Moral Story पढ़ने में जितनी रोचक लगती हैं उतनी दूसरी कहानियां नहीं लगती। Hindi Moral Story हमारी बुद्धि को तो तेज करती ही हैं साथ ही साथ बेहतरीन सीख भी देती है। आइए पढ़ते हैं एक ऐसी ही रोचक Moral Story Hindi Me  


मूर्खों का बहुमत

(Moral Story In Hindi)


बहुत समय पहले की बात है एक दिन एक बंदर गर्मी से थका हारा एक पेड़ पर जाकर आराम कर रहा था।


उस दिन बहुत गर्मी थी और आकाश में सूरज आग के गोले की तरह चमक रहा था।


मौसम बहुत भयानक था और धूप बहुत तेज थी इसलिए बंदर पेड़ की आड़ में जाकर बैठ गया।


और पेड़ पर बैठकर वह बोल पड़ा कि हे भगवान! आज कितनी गर्मी है सूर्य आग के गोले की तरह तप रहा है जैसे मानो आग बरसा रहा हो....


जिस पेड़ पर बंदर चढ़कर यह बात कह रहा था उसी पेड़ पर एक उल्लू भी रहता था।


सब लोग यह बात जानते थे कि उल्लू को दिन में दिखाई नहीं पड़ता इसलिए वह दिन में अपने घोसले में रहते हैं और जैसे ही रात होता है तब शिकार के लिए निकलते हैं।


जैसे ही उल्लू को ये बात सुनाई थी वह फटाक से बोल पड़ा क्या कह रहे हो बंदर भाई अभी दिन है और सूरज आग की तरह चमक रहा है वह आप पर आग बरसा रहा है झूठ मत बोला करो यार।


सूरज कहां होता है अगर आप अभी कहते कि चांद है और वह गोली की तरह चमक रहा है तो एक बात होती। 


बंदर बोला अरे भाई पागल हो क्या दिखता नहीं सूरज है और चमक रहा है।


उल्लू को बंदर ने काफी समझाने का प्रयत्न किया पर उल्लू माना नहीं और बंदर भी अपनी बात पर बना रहा।


कुछ देर तक दोनों ने एक दूसरे से बात किया लेकिन उसके बाद जब दोनों थक गए तो उल्लू ने बंदर को सुझाव दिया कि चलो हम दूसरे जानवरों से इस बारे में पूछते हैं और उनकी राय लेते हैं।


यह कहकर उल्लू बंदर को बाकी सभी उल्लू के पास लेकर चला गया। जहां पर उल्लू बंदर को लेकर गया वहां पर 100 से भी ज्यादा उल्लू एक साथ थे।


उल्लू बंदर को वहां पर ले गया और अपने सारे उल्लू भाई से पूछा कि देखो भाई यह बंदा बोल रहा है कि इस वक्त दिन है और सूरज उगा है।


सूरज आग के गोले की तरह दिख रहा है और वह आग बरसा रहा है। क्या यह बात सच है?


यह बात सुनकर वहां के सारे उल्लू हंसने लगे और बोले कहां अभी तो अंधेरा है और ना ही दिन होता है और ना ही सूरज उगता है।


आप ऐसी मूर्खता वाली बातें हमारी और मत फैलाया करो और यहां से चले जाओ। 


बंदर अपनी बात पर बना रहा और कुछ देर तक उन्हें समझाने का प्रयत्न किया लेकिन कोई भी उल्लू नहीं माना और सारे उल्लू मिलकर बंदर के पीछे मारने को दौड़े।


बंदर वहां से किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल रहा।


बंदर को इसलिए चोट नहीं लगी क्योंकि उल्लू को दिन में दिखाई नहीं दे रहा थी।


और वह इधर उधर जा रहे थे लेकिन बंदर को दिखाई दे रहा था और वह सफलतापूर्वक भागने में कामयाब रहा। 


सीख
(Moral Of The Story)


इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि जहां मूर्खों का बहुमत होता है वहां पर झूठ बात भी सच साबित हो जाती है इसलिए मूर्खों के साथ रहना सबसे बड़ी मूर्खता है।


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