मन चंचल मन बावरा | Moral Story In Hindi For Kids

मन चंचल मन बावरा | Moral Story In Hindi For Kids

लोग बाग मन ही मन अपनी एक अलग दुनिया बना लेते है और तरह तरह की चीजे सोचने लगते हैं और ये अनिश्चित योजनाएं ही मानव के तनाव अलगाव और डिप्रेशन का कारण बनती हैं। आइए पढ़ते हैं एक Moral Story In Hindi 


मन चंचल मन बावरा 
(Moral Story In Hindi For Kids)


चुटकी एक दूधवाली थी, वह दूध बेचा करती थी। वह अभी अभी ताजा 2 बड़ी बाल्टी मलाईदार दूध निकालकर दोनो को लकड़ी के गट्ठर पर टांगकर बाज़ार में बेचने निकल जाती है….


चुटकी मन ही मन दूध को बेचने से मिलने वाले पैसों के बारे में सोचने लगी…और तरह तरह के ख्याली पुलाव पकाने लगी…


चुटकी सोचने लगी कि उसे जो पैसे मिलेंगे उससे वो मुर्गियां खरीदेगी और और अंडों को बेचकर बड़ा बिजनेस शुरू करेगी…फिर वो पहाड़ी पर एक बड़ा घर खरीद लेगी…


और सभी लोग मेरी तरक्की देखकर जलने लगेंगे…


और लोग जलन के मारे; मुझे अंडों का बिजनेस बेचने के लिए कहेंगे और मैं झट से उन्हें सर हिलाकर मना कर दूंगी …


ऐसा कहते ही चुटकी का बैलेंस खराब हो गया और उसका सारा दूध गिर गया और सारा का सारा दूध खराब हो गया…


सीख 

(Moral Of The Story)


मन में ख्याली दुनिया मत बनाओ। जो चीज अभी हमारे हाथ में नहीं है उन पर योजना बनाना बेकार है।


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