कौवे की चालाकी | पंचतंत्र की रोचक कहानी

कौवे की चालाकी | पंचतंत्र की रोचक कहानी

हमारे जीवन में प्रेरणदाई कहानियों का एक अलग ही महत्त्व है, क्योंकि इन प्रेरक कहानियों को पढ़कर हमें एक नई ऊर्जा मिलती है और जीवन में कुछ नया अनुभव सीखने को मिलता है। आइए पढ़ते हैं ये बेहतरीन पंचतंत्र की कहानी :

कौवे की चालाकी
(Panchtantra Story In Hindi)


एक कौवा का राजा था मेगवर्ण जो अपने कौवों के समूह के साथ एक बरगद के पेड़ पर रहता था।




उसी जंगल में एक बड़ा सा पहाड़ था जिसकी गुफा में उल्लू का राजा उल्लूकराज अपने सभी समूह के साथ रहता था।


जंगल में कौवा और उल्लूओं के बीच सदियों से लड़ाई चली आ रही थी।


इसी कारण से जो भी कौवा पहाड़ की ओर जाता था उसे उल्लूककराज के उल्लू उन कौवों को मार दिया करते थे। 


एक समय की बात है जब मेगवर्ण अपने कौवों की मौत देखकर परेशान हो गया तो उसके मंत्री स्थिरजीवी ने उल्लूओ से बदला लेने का एक बेहतरीन प्लेन बनाया।


और उसने राजा से कहा कि "आप मुझे अपनी चोंच से घायल करके इस बरगद के पेड़ से नीचे फेक दें और मैं उन उल्लूओ के पास जाकर कहूंगा कि आपने मुझे अपने राज्य से बाहर निकाल दिया है।


और, मैं अब उल्लूओ के समूह का हिस्सा बनना चाहता हूं।


फिर सही मौका देखकर मैं उन सभी लोगों को मार दूंगा।"


कौवा के राजा मेगवर्ण को यह प्लानिंग पसंद आई और उसने अपने मंत्री स्थिरजीवी को चोंच से घायल करके, उस बरगद के पेड़ से नीचे फेंक दिया और बाकी सभी कौवों के साथ उस स्थान को छोड़कर चले गए। 


स्थिरजीवी उल्लोकराज के पास गया और बोला कि – "महाराज मैंने मेगवर्ण के सामने आपकी जरा सी तारीफ़ क्या कर दी उन्होंने मुझे चोंच से घायल करके अपने राज्य से बाहर ही निकाल दिया।


अब मैं आपके समूह का हिस्सा बनना चाहता हूं और मेगवर्ण के कौवों का सारा राज आपको बताकर उनसे बदला लेना चाहता हूं।"


उल्लूकराज का मंत्री कौवों की चालाकी से वाकिफ था।


इस वजह से उसने महाराज को सावधान रहने की चेतावनी दी।


मगर बाकी मंत्रीगणों ने तर्क देते हुए कहा कि हमें स्थिरजीवी को नहीं मारना चाहिए बल्कि इसका इस्तेमाल करके कमरों के सभी समूह को मार देना चाहिए। 


स्थिरजीवी जब थोड़ा ठीक हुआ तो उसने उल्लूकराज से कहा कि वह अपना आत्मदाह करके उल्लू बनना चाहता है जिस वजह से लकड़ियों का इंतजाम किया जाए।


ऐसा ही हुआ और स्थिरजीवी के कहने पर सभी लकड़ियों को गुफा के दरवाजे पर रख दिया गया।


स्थिरजीवी ने पहले से ही मेघवर्ण को इस घटना के बारे में आगाह कर दिया था और कहा था कि सही मौका देखते हुए गुफा के बाहर रखी सभी लकड़ियों पर आग लगा दे। 


ऐसा ही हुआ कुछ समय बाद स्थिरजीवी जैसे ही गुफा से बाहर निकला कानों के समूह ने लकड़ियों पर आग लगा दी और सभी उल्लू गुफा के अंदर फंस गए और जलकर भस्म हो गए। 


उसके बाद जंगल के सभी इलाकों पर कौवों का राज हो गया और सभी कौवे अच्छे से रहने लगे। 


सीख

(Moral Of The Story)


दुश्मनी का अंत दोस्तों हमेशा बुरा ही होता है, दुश्मनी करने से हमें गुस्सा, अशांति और तनाव यानि डिप्रेशन जैसी खतरनाक बीमारियां ही मिलती है, इसलिए हमें दुश्मनी से दूर ही रहना चाहिए।

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