धीरूभाई अंबानी कैसे अमीर बने | Dhiru Bhai Ambani Kese Amir Bane

धीरूभाई अंबानी कैसे अमीर बने | Dhiru Bhai Ambani Kese Amir Bane

आज रिलायंस कंपनी के बारे में कौन नहीं जानता, यह कंपनी भारत की ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाला कंपनी है। आज हम रिलायंस कंपनी को मुकेश अंबानी के नाम से जानते है मगर इस कंपनी की नींव धीरूभाई अंबानी द्वारा रखी गई थी

 


धीरूभाई अंबानी ने कैसे शुरू किया ₹300 से करोड़ों का व्यापार | Dhirubhai Ambani Ne Business Kese Start Kiya Tha


आपको बता दें कि धीरुभाई अंबानी अपने हाईस्कूल की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए थे और घर की गरीब स्थिति के कारण उन्हें 17 वर्ष की आयु में काम करना पड़ा था।


उन्हें ₹300 प्रतिमाह मिलते थे जब धीरूभाई अंबानी एक पेट्रोल पंप पर तेल भरने का काम किया करते थे। धीरे धीरे अपनी काबिलियत के दम पर उन्होंने एक व्यापार शुरु किया जो काफी अच्छा फला फूला और रिलायंस इंडस्ट्री के नाम से पूरे विश्व में जाना जाने लगा। चलिए इस कहानी को शुरू से शुरू करते हैं। 


कौन थे धीरूभाई अंबानी | Kaun The Dhirubhai Ambani


धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 में गुजरात के जूनागढ़ में चोरवाड़ा गांव में हुआ था। धीरूभाई अंबानी के पिता स्कूल के शिक्षक थे।


उनका परिवार धीरूभाई अंबानी को एक सुरक्षित नौकरी करते हुए देखना चाहता था मगर उन्हें जोखिम लेने का शौक था जिस वजह से उन्होंने व्यापार में अपना हाथ अजमाया। 


धीरूभाई अंबानी रिलायंस ग्रुप के संस्थापक बने इन्होंने रिलायंस इंडस्ट्री नाम का एक व्यापार शुरु किया था जो धीरे-धीरे काफी प्रचलित हुआ और इनकी मेहनत के दम पर वह व्यापार आज 62 हजार करोड़ का बन चुका है।


अगर हम रिलायंस कंपनी के इतिहास की बात करें तो 1967 में धीरूभाई अंबानी ने एक कपड़े की मिल खोली थी जिसका नाम रिलायंस टेक्सटाइल रखा था।


धीरे-धीरे यह व्यापार आगे चलकर आज रिलायंस इंडस्ट्रीज का रूप ले चुका है। 


छोटी चीजों से कैसे की शुरुआत | Dhirubhai Ambani Kese Bane Rich


अंबानी परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था जिस वजह से धीरूभाई अंबानी को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी और उसके बाद 1949 में अपने चचेरे भाई के साथ कमाने के लिए वह यमन चले गए।


1954 में यमन से वापस आने के बाद वह एक पेट्रोल पंप पर ₹300 प्रति माह पर काम करने लगे।


उनकी प्रतिभा और कड़ी मेहनत को देखते हुए उन्हें पेट्रोल पंप का मैनेजर बना दिया गया। 


उन्होंने पेट्रोल पंप पर काम करते वक्त इस बात पर गौर किया कि पॉलिस्टर और मसाले कुछ ऐसे पदार्थ है जिन्हें विदेशी कंपनियां भारत से खरीदने आती है तो उनके मन में पॉलिस्टर का व्यापार शुरू करने का ख्याल आया।


उन्होंने मुंबई में 300 वर्ग का एक कमरा लिया जहां एक मेज और तीन कुर्सी लगे हुई थे वहां एक टेलीफोन लेकर इस व्यापार को शुरू किया और उन्होंने विदेशी कंपनियों को पॉलिस्टर बेचने का कार्य शुरू किया। 


यह धीरूभाई अंबानी के लिए एक निर्णायक फैसला था जहां उन्हें अपने जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला लेना था कि क्या वह पॉलिस्टर का व्यापार करते रहना चाहते है अथवा अपना खुद का टेक्सटाइल कंपनी बनाना चाहते हैं।


उन्होंने रिस्क लेना सही समझा और मुंबई में एक टेक्सटाइल मिल शुरू की जिसका नाम रिलायंस टेक्सटाइल रखा। 


वे परिवार को देते थे समय | Dhirubhai Ambani Life Routine


धीरूभाई अंबानी उन गिरी चुने व्यापारियों में से थे जिन्हें पार्टी करना और घूमना फिरना खास पसंद नहीं था।


वह अपने कंपनी के सक्सेस पार्टी में भी नहीं जाते थे ना ही उन्हें कहीं देश विदेश घूमने का मन करता था। वह अपने परिवार के साथ या फिर अपने दफ्तर में काम करते रहते थे। 


उनके व्यक्तित्व से जुड़ी एक खास बात यह भी है कि अपने दफ्तर के पास मिलने वाली 25 पैसे की चाय वह कभी नहीं पिया करते थे वह चाय पीने के लिए अपने दफ्तर से दूर एक बड़े से होटल में जाते थे जहां चाय की कीमत एक से डेढ़ रुपए होती थी।


उनका कहना था कि आप जैसा बनना चाहते है वैसे लोगों के साथ उठते बैठते रहिए। इसके अलावा वे कहा करते थे कि अगर कोई व्यक्ति 12 से 16 घंटा कार्य कर रहा है या तो वह झूठ बोल रहा है या फिर वह अच्छा काम नहीं कर रहा।


उनका कहना था कि हम जितना ज्यादा देर तक काम करेंगे उतनी ज्यादा गुणवत्ता पर फर्क पड़ेगा इसलिए अच्छा काम ही करो भले थोड़े देर के लिए करो। 


तीन बार कंपनी का नाम बदला | Dhirubhai Ambani Ne 3 Baar Company Ka Naam Badla


धीरूभाई अंबानी के बारे में यह बात भी काफी प्रचलित है कि उन्होंने अपनी कंपनी का नाम तीन बार बदला था।


जब उन्होंने सबसे पहले पॉलिस्टर बेचने का व्यापार शुरू किया तब उनकी कंपनी का नाम रिलायंस कॉरपोरेशन था जिसे बदलकर रिलायंस टेक्सटाइल किया जब उन्होंने रिलायंस मिल की स्थापना की और आगे चलकर रिलायंस विभिन्न प्रकार के क्षेत्र में व्यापार करने लगा जिस वक्त उसका नाम रिलायंस इंडस्ट्रीज कर दिया गया। 


आज धीरूभाई अंबानी के द्वार रखी गई इस नीव से बने रिलायंस को एशिया का सबसे बड़ा कंपनी बनाया और आज इसकी कुल संपत्ति 62000 करोड़ की है। 


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