बूंद बूंद से सागर बनता है

बूंद बूंद से सागर बनता है

 हम अक्सर सोचते हैं मेरे अकेले के करने से क्या होने वाला है वगैरह वगैरह बातें. याद रखिए दशरथ मांझी भी अकेला था जिसने अकेले ही छैनी और हथौड़े से पहाड़ तोड़ दिया था.

आज हम अपनी इस पोस्ट में short motivational story in hindi देखेंगे. 



               बूंद बूंद से सागर बनता है


एक बार की बात है, रत्नपुर गांव में भीषण सूखा पड़ा. गांव में लोग बाग एक एक बूंद पानी के लिए परेशान हो गए. बात यहां तक बढ़ गई कि गांव में पानी के लिए झगड़े तक होने शुरू हो गए. सारे गांव वाले बहुत परेशान रहने लगें.


गांव में एक महात्मा रहते थे. गांव में महात्मा का बड़ा प्रभाव था. महात्मा जी जो बोल देते थे वो बात सच साबित हो जाती थी. सभी गांव वालो ने एक दिन मिलकर उनके पास जाने की योजना बनाई. गांव वालो ने महात्मा जी को गांव में पड़े सूखे का सारा दुखड़ा बता दिया. महात्मा जी ने गांव वालो से कहा जल्द ही गांव में घनघोर बारिश होगी. ये बात सुनते ही सभी लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट की लहर आ गई और सभी ख़ुशी खुशी अपने अपने घर आ गए.


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जैसा कि महात्मा जी ने कहा था, वैसा ही होने का समय निकट आ गया था. एक दूत गांव में आया, वह ईश्वर का दूत जान पड़ता था. उसने सभी गांव वालो से कहा कि इस कुएं में अगर आप सभी एक एक करके बिना देखे एक लोटा दूध डालोगे तो अगले दिन ही घनघोर बारिश होगी. सभी लोगों ने दूत के कहे अनुसार अगले दिन सुबह सुबह कुएं में एक एक लोटा दूध डाल देने की योजना बनाई, लेकिन गांव में एक बहुत ही कंजूस आदमी भी रहता था, उसने सोचा किसी को क्या पता चल रहा है मैंने दूध डाला या पानी. मैं चुपके से कुएं में पानी डाल दूंगा.


कंजूस आदमी ने अपनी नियत के जैसे ही किया. जब अगले दिन सभी गांव वालो ने देखा कि घनगोर बारिश तो दूर की बात, मौसम बिल्कुल वैसा का वैसा ही है तो गांव वाले बड़े निराश हुए. उन्होंने कुएं के पास जाकर देखा तो उन्हें सब समझ में आ गया. उन्होंने देखा की कुआ तो पानी से भरा पड़ा है. असल में कंजूस की तरह ही गांव के सभी लोगो ने भी ऐसा ही सोचा था कि मेरे एक के पानी के लोटे से क्या होगा और सभी ने पानी भरा लोटा ही कुएं में डाल दिया था...इसलिए बारिश हुई ही नहीं.


सीख - बूंद बूंद से घड़ा भरता है. हम अक्सर सोचते हैं कि इस काम को मेरे अकेले करने से क्या होगा. दोस्तो याद रखो, शुरुआत एक से ही होती है.




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