दूसरों का अच्छा करोगे तो तुम्हारा भी अच्छा होगा || Moral Story In Hindi

दूसरों का अच्छा करोगे तो तुम्हारा भी अच्छा होगा || Moral Story In Hindi

इस स्वार्थ भरी दुनिया में इंसान इतना लालची हो गया है कि उसे अपने सिवाय और कुछ सूझता ही नहीं। इंसान ये भूल गया है कि वो एक सामाजिक प्राणी भी है। आइए पढ़ते हैं ये बेहतरीन रोचक कहानी (Inspirational Story In Hindi) 




दूसरों का अच्छा करोगे तो तुम्हारा भी अच्छा होगा
(Moral Story In Hindi)


एक समय की बात है दोपहर का वक्त था आसमान में घनघोर काले बादल छाए हुए थे तभी अचानक एक औरत की गाड़ी जंगल के रास्ते में खराब हो गई और वह बहुत घबरा गई....


कुछ देर तक इधर-उधर देखने के बाद औरत डरके मारे गाड़ी के पास ही खड़ी हो गई तभी अचानक दूर से एक आदमी उसकी तरफ आता हुआ दिखाई दिया....


वह औरत उसे देखकर डर जाती है कि कहीं वह इसे लूट ना ले....


वह व्यक्ति औरत के डर को भाप लेता है और उसके पास आकर कहता है कि मेरा नाम मनोज है....


मैं पास के ही एक छोटे से गैरेज में काम करता हूं अगर तुम्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी हो तो मुझे बता देना....


औरत का अब डर खत्म हो जाता है और वह उसे बताती है कि उसकी गाड़ी खराब हो गई है जिस वजह से वह इस रास्ते में बुरी तरह से फंस गई है...


और बारिश भी होने वाली है जिससे उसकी तबीयत भी खराब हो जाएगी।


वह औरत मनोज से रिक्वेस्ट करती है कि वह गाड़ी को ठीक कर दे। मनोज उसकी गाड़ी ठीक करने लगता हैं....


10 से 15 मिनट में ही गाड़ी ठीक हो जाती है....


और वो औरत भी अब खुश हो जाती है....


वो मनोज को कुछ पैसे देने लगती है मगर वह आदमी पैसे लेने से मना कर देता है...


वह कहता है कि तकलीफ के समय मैंने तुम्हारी गाड़ी एक मदद की भावना से ठीक की...


तो बस तुम एक काम करना अगर भविष्य में तुम्हें कोई परेशान व्यक्ति दिखे तो बस उसकी भी मेरी तरह ही मदद कर देना और फिर समझना कि मुझे मेरा पैसा मिल गया....


फिर वह उसका शुक्रिया अदा करके वहां से चली जाती है....


कुछ दूर जंगल का रास्ता पार होने के बाद उसे भूख लगती है तो वह औरत अपनी गाड़ी को एक होटल के सामने रोकती है....


और खाना खाने के लिए होटल के अंदर जाती है। होटल में उसका आर्डर लेने के लिए एक दूसरी औरत आती है जो सात आठ महीने की गर्भ से थी...


खाना खाते वक्त वह औरत प्रेग्नेंट महिला के बारे में सोचती है और खाना खत्म करने के बाद 8000 रूपए की टिप अपनी टेबल पर छोड़कर जाने लगती है....


जब वह प्रेग्नेंट औरत उसकी थाली उठाने आती है तो पैसे को देखकर हैरान हो जाती है। वह उसे रोककर पूछती है कि इतने सारे पैसे आपने यहां क्यों छोड़ दिए.....


वह औरत कहती है कि तुम्हारी कार्य निष्ठा को देखकर मैं बहुत खुश हूं और तुम्हारे कार्य के बदले मैंने तुम्हें 8000 रूपए की टिप दी है....


वह प्रेग्नेंट महिला खुशी से उस पैसे को लेकर अपने घर जाती है और एक व्यक्ति से गले लगते हुए कहती है कि मनोज अब हमें दिन रात मेहनत करने की जरूरत नहीं है एक भली महिला ने मुझे 8000 रूपये दिए हैं जिससे हम डिलीवरी का खर्च उठा सकते हैं....


मनोज को यह पता था कि 8000 रूपये उसी औरत के जरिए उसके पास आए है, जिसकी गाड़ी उसने मदद के भाव से ठीक करी थी।


सीख

(Moral Of The Story)

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे अंदर दूसरों की मदद करने का भाव होना चाहिए। अगर हम किसी की मदद सच्चे भाव से करें तो उसका परिणाम ज्यादातर अच्छा ही मिलता है। 


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