ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी.... आज़ादी के वो गुमनाम चेहरे जिनके बारे में हम जानते ही नहीं आइए उनके योगदान को जानें :
राजकुमारी गुप्ता || Rajkumari Gupta
देशभक्तों में देशभक्ति की भावना इतनी प्रबल होती थी कि वे अपना सुख चैन भूल जाते थे। उन्हें देश की आज़ादी के आगे न तो उन्हें अपना परिवार दिखता था और न ही अपना कोई स्वार्थ।
उन्हें दिखता था तो केवल अपना देश और उसकी आजादी। देश के लिए ऐसा ही त्याग देने वाली एक क्रांतिकारी थी राजकुमारी गुप्ता। जिन्होंने काकोरी कांड में अपना अहम योगदान दिया था।
जो अंग्रेज भारतीए किसानों और मजदूरों का शोषण करके धन इकट्ठा करते थे। काकोरी कांड में उसे लूटकर हमारे क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के मन में दहशत पैदा कर दी थी।
राजकुमारी गुप्ता को काकोरी कांड में क्रांतिकारियों के उस दल को हथियार पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई थी जिन्हें अंग्रेजी सरकार का खजाना ले जाने वाली ट्रेन पर हमला करना था और इतने बड़े जोखिम वाले काम को करने के लिए राजकुमारी गुप्ता ने तुरंत हां भी भर दी थी।
किसी शक से बचने के लिए राजकुमारी गुप्ता हथियारों को अपने खादी के कपड़ों में छुपाया करती थी और इस दौरान गोद में अपने तीन साल के बच्चें को साथ लेकर जाया करती थी ताकि अंग्रेज पुलिस उन पर संदेह न हो। अपनी बहादुरी और चालाकी से राजकुमारी गुप्ता ने सभी क्रांतिकारियों तक हथियार पहुंचा दिए।
उस महिला में देशभक्ति का ऐसा जुनून था कि उसने ना तो खुद की जान की परवाह की और ना ही अपने 3 वर्ष के छोटे बच्चें की।
काकोरी कांड में क्रान्तिकारी गतिविधियों में शामिल होने के कारण गिरफ्तार होने पर, उनके ससुराल वालों ने उनसे अपने संबंधों को ही नकार दिया और उन्हें घर से निकाल दिया। यहां तक कि ससुराल वालों ने स्थानीय प्रेस में उनसे संबंध को समाप्त करने की सूचना छपवा दी। निजी तौर पर किसी स्त्री के लिए ये बहुत बड़ी हानि थी। फिर भी, बिना विचलित हुए वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रही।
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