एक ऐसे गुमनाम Freedom Fighter जिनको हमें जरूर पढ़ना चाहिए। आइए पढ़ते हैं Sachindranath Sanyal जी के बारे में
सचिंद्रनाथ सान्याल || Real Story of Sachindra Nath Sanyal
सचिंद्र नाथ सान्याल वे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को बौद्धिक नेतृत्व प्रदान किया। उनका मानना था कि विशेष दार्शनिक सिद्धांत के बिना कोई आंदोलन सफल नहीं हो सकता। यही कारण था कि भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारी भी सचिंद्र नाथ सान्याल को अपना आदर्श मानते थे।
सचिंद्र नाथ सान्याल ने वाराणसी को क्रांतिकारियों का सेंटर बना दिया था। उन्होंने देशभर के युवा क्रांतिकारियों को वाराणसी बुलाकर 'हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन' और 'हिंदुस्तान रिपब्लिकन आर्मी' का गठन किया।
बाद में इसी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारियों ने काकोरी कांड (काकोरी ट्रेन एक्शन) में सरकारी खजाना लूटने का काम किया।
काकोरी ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने माउजर का इस्तेमाल किया गया था। उस समय के हिसाब से माउजर अत्याधुनिक हथियार था, जो केवल जर्मनी में ही मिल सकता था।
इसे भारत में लाने का मास्टर प्लान बनाया सचिंद्रनाथ सान्याल ने।
इसके लिए सान्याल ने वाराणसी में चुनार से लेकर अस्सी घाट तक तैराकी की प्रतियोगिता करवाई। इस प्रतियोगिता में BHU के छात्र केशव चक्रवर्ती को पहला स्थान मिला।
केशव को सान्याल ने जर्मनी में होने वाली तैराकी प्रतियोगिता के लिए भेजा। इसके साथ ही केशव को यह जिम्मा सौंपा गया कि भारत के लिए मेडल लाने के साथ वे 50 अत्याधुनिक माउजर की खेप भारत लेकर आए।
केशव ने जिम्मेदारी बखूबी निभाई और इन्हीं हथियारों से काकोरी कांड को सफल भी बनाया गया था लेकिन बाद में इसमें शामिल ज्यादातर क्रांतिकारी पकड़े गए।
इसके बाद लखनऊ में काकोरी षड्यंत्र का केस चला और सान्याल को आजीवन काले पानी की सजा सुना दी गई। उनके छोटे भाई भूपेंद्र को 5 साल और मन्मथनाथ को 14 साल की सजा हुई।
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