नटखट बंदर | Prerak Story

नटखट बंदर | Prerak Story

हमारे जीवन में कहानी का विशेष महत्त्व है। कुछ इंसान गलती करके सीखते हैं जबकि कुछ गलती करे बिना ही कहानियां पढ़कर सीख जाते हैं। आइए पढ़ते हैं एक प्रेरक कहानी


नटखट बंदर 

(Moral Story In Hindi)


बहुत दूर गंगापुर गांव में अचानक बंदरों की टोली ने आक्रमण कर दिया और पूरे गांव में हर किसी की छत पर बंदरों का झुंड दिखाई देने लगा।


यह बंदरों के झुंड किसी के भी घर में घुसकर खाना चुरा लिया करते थे तो किसी के हाथ से कोई सामान छीन लिया करते थे।


सभी बंदर आमतौर पर खाना खाने, पानी पीने जैसे कार्यों के लिए लोगों को परेशान करते थे....


मगर उनमें से एक नटखट बंदर था जो बिना किसी कारण के लोगों के घर में घुसकर उनके सामान को छूता रहता था...


एक समय की बात है गांव में अकाल पड़ गया बारिश न होने के कारण अच्छी फसल नहीं हो पाई...


इस वजह से गांव के सभी लोगों ने निश्चय किया कि वे एक पूजा का आयोजन करेंगे ताकि भगवान से बारिश की प्रार्थना की जा सकें....


इसके लिए गांव में कुछ प्रसिद्ध बढ़ई काम करने आए। एक साधारण दोपहर वे बढ़ई एक पेड़ के नीचे बैठकर अपना कार्य कर रहे थे। 


अचानक उन्हें भूख लगी और अपने कार्य को वहां कुछ देर के लिए रोका और खाना खाने के लिए गए। उसी वक्त वहां कुछ बंदरों की टोली आ गई।


उसमें वह नटखट बंदर भी था जो अक्सर बेवजह लोगों को परेशान किया करता था। उसने देखा कि बढ़ई लोगों ने बांस के डंडे के सहारे एक छत टीकाकर रखी हुई है। 


उस नटखट बंदर के मन में एक शैतानी सूझी और उसने जोर जोर से हिला कर उस बांस के डंडे को खींचने का प्रयास किया ज्योंही उसने उस बांस के डंडे को खींचा तब ही एकदम से छत उसके ऊपर आ गिर पड़ी।


बंदर उस छत के नीचे काफी देर तक फसा रहा और दर्द से करहता रहा....


कुछ देर बाद जब बढ़ई ने उसे वहां फसा हुआ पाया तब उस बंदर को बाहर निकाला....


और, अब बंदर पहले से बहुत शांत हो चुका था। उसे अपनी शरारतें याद आ रही थी और वह दर्द याद आ रहा था। 


सीख

(Moral Of The Story)


इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बेवजह अपनी नाक हर काम के बीच में नहीं घुसेड़नी चाहिए, हमें अपने काम से काम रखना चाहिए।


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