मेंढ़को का राजा कौन | Hindi Moral Story

मेंढ़को का राजा कौन | Hindi Moral Story

हिंदी की रोचक कहानियां हमें उत्साहित तो करती ही हैं और साथ ही साथ ये हमें रोमांच से भी भर देती है। आइए पढ़ते हैं एक ऐसी ही रोचक Moral Story In Hindi For Kids 


मेंढ़को का राजा कौन 

(Moral Story In Hindi) 


एक नदी के किनारे काफी बड़ा दलदली इलाका था। जहां पर बहुत सारे मेंढक रहा करते थे।


वहां के मेंढक एक दूसरे से बहुत ही मिलजुल कर रहते थे और उन सभी में गहरी दोस्ती भी थी।


कोई भी मेंढक एक दूसरे को हानि नहीं पहुंचाता था। लेकिन अपने समुदाय में कुछ बदलाव के कारण कुछ मेंढक एक राजा नियुक्त करना चाहते थे जिससे कि उनके समुदाय का नियम जैसा है वैसा ही रह सके।


वैसे तो वहां पर काफी शांति थी। लेकिन फिर भी वे लोग एक राजा नियुक्त करना चाहते थे। जो उनके सभी मेंढक भाइयों पर नजर रखें और उनके समुदाय में अनुशासन बनाए रखें। 


मेंढ़को के समूह ने देवदूत से प्रार्थना की कि देवदूत हमें एक राजा चाहिए।


मेंढ़कों की इस बात को सुनकर देवदूत हंसने लगे और एक लकड़ी पानी में गिरा दी।


सारे मेंढ़क लकड़ी के नीचे दब गए लेकिन फिर भी उन्होंने राजा की मांग जारी रखें।


वे फिर से टर्र टर्र करने लगे और देवदूत से राजा की मांग करने लगे।


अंत में देवदूत थक हारकर एक बगुले को मेंढको की रखवाली के लिए भेज देते हैं।


जो मेंढक ज्यादा आवाज करता या फिर ज्यादा पानी से बाहर उछलता तो बगुला उसे खा जाता।


ऐसे ही करते करते एक दिन सारे मेंढ़कों को बगुला खा गया। अब उस तालाब में एक भी मेंढक नहीं बचा। 


 सीख 
(Moral Of The Story)


इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें जितना मिले उतने में ही संतोष करना चाहिए और ज्यादा की मांग नहीं करनी चाहिए। क्योंकि ज्यादा की मांग हमारे लिए खतरा हो सकती है। 


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