महिला क्रांतिकारियों में एक नाम कल्पना दत्त का भी रहा जिन्होंने अंग्रेजों से बड़ी ही बहादूरी से लड़ाई लड़ी। इन्हें 'वीर महिला' के नाम से भी जाना जाता है।
कल्पना दत्त
(Kalpana Datta)
कल्पना दत्त कोलकाता में अपनी स्टूडेंट लाइफ से ही क्रांतिकारी कार्यों में लग गई थी।
"इंडियन रिपब्लिक आर्मी (IRA)" से कल्पना दत्त जुड़ गई थी। IRA एक ऐसा संगठन था जिसमें भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, बिस्मिल जैसे क्रान्तिकारी लोग थे।
"इंडियन रिपब्लिक आर्मी" के सदस्यों ने "चटगांव शास्त्रागर लूट" की था। इसके बाद संगठन के कई बड़े बड़े क्रान्तिकारी गिरफ्तार हुए थे।
उस टाइम कल्पना दत्त ने संगठन (IRA) के लोगों को आजाद कराने के लिए जेल को बम से उड़ाने की प्लानिंग बनाई थी…
उन्होंने चटगांव के यूरोपियन क्लब को निशाना बनाया और प्लानिंग को अंजाम देने के लिए कल्पना दत्त ने अपना हुलिया भी बदल लिया था।
अचानक ही पुलिस को इस योजना के बारे में जानकारी मिल गई और कल्पना दत्त को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।
अभियोग सिद्ध नहीं होने के कारण कल्पना दत्त को जेल से छोड़ दिया गया…
मगर पुलिस की पैनी नजर उन पर बनी रही…
कल्पना दत्त को पढ़ाई छोड़कर वापिस अपने गांव जाना पड़ा परंतु इतना सब होने के बाद भी कल्पना दत्त ने संगठन (IRA) को नहीं छोड़ा।
इससे कल्पना दत्त का भारत देश के प्रति अनन्य प्रेम झलकता है…
वे निडर रही और अपने देश की आजादी के लक्ष्य पर डटी रही।
कल्पना दत्त पुलिस को चकमा देकर भागने में भी कामयाब रही और 2 साल तक भूमिगत होकर आंदोलन को भूमिगत ही चलाती रही।
और आखिर में… कल्पना दत्त को उम्र कैद की सजा सुनाई गई।
ऐसी थी निर्भीक, निडर और साहसी कल्पना दत्त। कल्पना दत्त जी के जीवन से हमें संकल्प शक्ति के गुण को अवश्य अपने भीतर लाने का प्रयास करना चाहिए।
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