वह लोगों से वापस अपनी मातृभूमि लौटकर आजादी की लड़ाई में शामिल होने की अपील करती थी। आइए पढ़ते है वीर स्वतंत्रता सेनानी गुलाबी कौर जी के बारे में
गुलाब कौर
(Gulab Kaur Kon Thi)
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में वीर स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली कई वीरांगनाएं भी रही हैं। उनमें से एक वीरांगना थी गुलाब कौर।
उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण महिला के रूप में माना जा सकता है क्योंकि उन्होंने विदेशों में भारतीय प्रवासियों को एकजुट किया और देश में आजादी के आंदोलन में शामिल होने के लिए तैयार किया था।
हांगकांग में रोज प्रवासी भारतीयों की बैठक होती थी जिनमें गदर पार्टी के नेता भाषण देते और आजादी की लड़ाई में शामिल होने की अपील करते थे।
भाषणों के बाद एक महिला उठती, सुरीले और जोशीले स्वर में "गदर की गूंज" कविता की पंक्तियां पढ़ती। इन भाषणों और कविताओं से देशभक्ति की ऐसी लहर पैदा होती कि लोग उससे अछूते नहीं रह पाते और अंग्रेजी शासन के विरुद्ध बगावत करने के लिए अपने नाम दर्ज करवाने लग जाते थे।
कोई दुविधा में दिखता तो वहीं महिला बाएं हाथ की चूड़ियां उतारकर आवाज लगाती- "यदि कोई अपने देश की आजादी के लिए हाथ आए इस अवसर से पीछे हटता है तो ये चूड़ियां पाकर बैठ जाए। हम महिलाएं उनके स्थान पर लड़ेंगी।" इस उद्बोधन से हिंदुस्तानियों में दोगुना जोश भर जाता था।
आंदोलन में शामिल होने के लिए जब उनके पति ने मना किया तो गुलाब कौर ने देशभक्ति को चुना और पति को छोड़कर देश की आजादी के आंदोलन में निकल पड़ी।
वे बहुत दिलेर और साहसी थी और चतुराई से अक्सर पुलिस को चकमा दे देती थी।
इससे वो गिरफ्तारी से बच जाती थी और अपनी पार्टी के सदस्यों को भी बचा लेती थी।
आखिरकार एक दिन बीवी गुलाब कौर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया और उन्हें 2 साल की कड़ी सजा सुना दी गई।
उन्हें लाहौर की जेल में डाल दिया गया लेकिन जेल में भी उन्होंने दूसरे कैदियों के साथ मिलकर फिर से न्याय के लिए आवाज उठाई। इससे जेल के अधिकारी आग बबूला हो उठे और उनके साथ अमानवीय व्यवहार करने लगे और उन्हें अनेक यातनाएं देने लगे।
उन्होंने समय-समय पर अनेक मुसीबतों का सामना किया और यातनाएं सही।
वह चाहती तो अपने पति के साथ आरामदायक जीवन बिता सकती थी परंतु देश के हित के लिए उन्होंने लोगों को इकट्ठा करना जरूरी समझा।
उन्होंने यह नहीं सोचा कि मैं एक अकेली महिला क्या करूंगी, कहां जाऊंगी, कैसे रहूंगी देश के हित के लिए उन्होंने अपने स्वार्थ के बारे में नहीं सोचा, मजबूती से डटकर हर मुसीबत का सामना किया और क्रांति लाई।
Read Also :
दुर्गा भाभी कौन थी | Freedom Fighter Real Story In Hindi
सचिंद्रनाथ सान्याल | Unsung Stroy Of Superhero
0 Comments
If you have any doubts let me know and thanks for giving your valuable time to visit my site.