अक्कमा चेरियन | Akkamma Cherian Kon Thi

अक्कमा चेरियन | Akkamma Cherian Kon Thi

एक महिला स्वतंत्रता सेनानी थी जिन्हें दक्षिण भारत में त्रावणकोर की झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम से भी जाना और पहचाना जाता है


अक्कमा चेरियन

(Akkamma Cherian)


अपनी पहचान बनाने वाली अक्कमा चेरियन केरल से थी जिन्होंने अपनी वीरता और साहस से अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी थी। 


वे एक वीर और साहसी महिला स्वतंत्रता सेनानी रही…


अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद वे अंग्रेजी विद्यालय में शिक्षिका के रूप में कार्यरत हो गई पर स्वतंत्रता संघर्ष में शामिल होने के लिए शिक्षण कार्य को छोड़ दिया। 


देश के लिए लोगों ने कई प्रकार के त्याग किए। वे चाहती तो अपना पढ़ाने का काम करती रहती लेकिन उन्होंने देश के लोगों के हित को सोचा और भारत की आजादी के लिए लड़ती रही। 


त्रावणकोर की जनता को काबू में लाने के लिए वहां के दीवान ने कुछ बैन लगा दिए। 


इसके बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हो गया। कई लीडर और प्रेसिडेंट जेल में डाल दिए गए। 


एक के बाद एक जो भी प्रेसिडेंट बनता जाता उसको जेल में डाल दिया जाता…


11वे प्रेसिडेंट ने अक्कमा को अपने बाद प्रेसिडेंट नियुक्त किया था। 


अक्कमा प्रतिबंध को रद्द करवाने के लिए खादी की टोपी पहनकर, झंडा हाथ में लेकर एक विशाल रैली का नेतृत्व करने चली गई थी। 


अक्कमा ने आंदोलन करने वाली भीड़ ने दीवान को बर्खास्त करने की मांग की तो ब्रिटिश पुलिस के प्रमुख ने अपने सिपाहियों से लोगों की इस रैली पर आगजनी करने का आदेश दे दिया। 


अक्कमा चेरियन चीख पड़ी "मैं इस रैली की नेता हूं, दूसरों को मारने से पहले मुझे गोली मारो।" 


उनके इन वीरता भरे शब्दों ने पुलिस अधिकारियों को अपना आदेश वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया था।


ये समाचार सुनकर महात्मा गांधी ने उन्हें झांसी की रानी के उपनाम से सम्मानित किया। 


ऐसा है यह देशभक्ति का जज्बा! अपना सब कुछ त्यागकर, मुश्किल कांटों भरी राह पर चलकर देश और देशवासियों के हित के लिए मर मिटने को तैयार रहना। 


इन्होंने सब कुछ केवल सत्ता के लिए नहीं अपितु देश के लिए किया।


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