जीवन है अनमोल धीरे धीरे बीता जा रहा, धन्य हैं वो जीवन जो काम किसी के आ रहा। ये लाइन मेरी नानी मुझे आज भी सुनाया करती है। सोचा कि क्यों न ये आपके साथ भी सांझा कर लूं। अच्छी बातें मेरे साथ के एक और अध्याय में आप सभी का स्वागत है। आइए आपके और मेरे बीच के इस दोस्ती के रिश्ते को निभाते हुए पढ़ते हैं एक और ये शानदार पोस्ट Motivatioanl Article Hindi Me
जीवन एक सुहाना सफर
(Motivational Article In Hindi)
जीवन एक सुहाना सफर है। इंसान जन्म अनमोल है। एक इंसान ही इस धरा पर प्रकृति की बनाई अनमोल धरोहर है जो कि सोच, बोल और हस सकता है।
परंतु इस अनमोल जीवन को हम बेकार बना देते हैं। आजकल लोगों में अवसाद यानी डिप्रेशन इतना भर गया है कि आज की युवा पीढ़ी सुसाइड तक करले रही है।
आज की युवा पीढ़ी जिम्मेदारियों के आगे बेबस सी दिखाई पड़ती है। हमारे देश का युवा पता नहीं क्यों कमजोर होता जा रहा है।
आज जरुरत है तो युवा शक्ति को जागने की ताकि युवा भारत मज़बूत, दमदार और बेमिसाल बन सके।
जीवन एक सुहाना सफर होता है लेकिन आज के युवा सरकारी नौकर बनने को इतने उतावले हो जाते हैं कि एक दौर आता है जब उनसे एग्जाम नहीं निकल पाता तो वो गलत रस्ते पर चल बैठते हैं।
अरे! भईया जिन्दगी में आपको ऐसे तमाम अवसर मिलेंगे जहां आप सरकारी नौकरी से भी ज्यादा कमा पाओगे।
वैसे भी एक आम नागरिक को जीने के लिए चाहिए भी क्या!! 2 गज जमीन और रोटी, कपड़ा, मकान। वैसे तो ये ही चीजें गुजर बसर करने के लिए काफ़ी होती है।
लेकिन हरेक इंसान अति चाहता है। यानि की उसकी इच्छाएं कभी खत्म नहीं होती। वो तो बस और और और और चाहता है और ये असीम इच्छाएं ही व्यक्ति के दुख का करना बनता है। ऐसा ही गौतम बुद्ध ने भी अपने उपदेशों में कहा था।
इंसान जब ये समझ जाता है कि ये जीवन तो सुहाना है और हम सब प्रकृति द्वारा बनाए गए माटी के पुतले है और उनमें जान फूंक दी गई है तो फिर वो व्यक्ति जीवन का सुहाना सफर तय करता है।
यानि कि व्यक्ति फिर खुद की खोज में निकलता है और खुद में इतना आनंद खोज लेता है कि फिर उसे दुनियादारी के रिश्ते, पैसा कुछ मायने नहीं रखता।
इसी बात को गौतम बुद्ध ने निर्वाण या कहे कि मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग बताया था।
कितने ही साधु संत आज भी हिमालय की गोद में जाकर तप, साधना करते हैं और मोक्ष प्राप्ति के लिए अपना पूरा जीवन लगा देते हैं। क्या उनका जीवन सुहाना है???
मेरा तो मानना उनका जीवन बिल्कुल भी सुहाना नहीं है। ऐसे साधु मूर्ख और बहुत बड़े बेवकूफ है। क्योंकि उन्हे मोक्ष की प्राप्ति तो लोगों के कल्याण और जीव जन्तु की सेवा से होगी।
जैसे भारत देश के महान संन्यासी स्वामी विवेकानंद जी ने किया था। उनके जीवन से हमें सीख लेने की ज़रूरत है।
हम बड़े ही धन्य है जो कि हमारा जन्म भारत जैसे ऋषि मुनियों के देश में हुआ।
तो दोस्तों! आज से ही अपने जीवन को सुहाना बनाने का प्रयास करिए। जिंदगी में जितने भी दुख है उनको भुलाकर एक नई जिंदगी जीना शुरू करिए।
मैं यूं नहीं कहता कि सरकारी नौकरी की तैयारी मत करों। मेरा कहना तो बस ये है कि अति मत करो। हर चीज की एक समय सीमा होती है। बस उसको ध्यान में रखते हुए अपने करियर का निर्माण करिए।
जय हिन्द!! जय भारत
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