इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता जवाहरलाल नेहरू और दादा मोतीलाल नेहरू प्रसिद्ध भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। उन्होंने स्नातक पुणे के पिल्स ऑन स्कूल और मुंबई से किया
इंदिरा गांधी : इंडिया इज़ इंदिरा, इंदिरा इज़ इंडिया
(Indira Gandhi : Iron Lady Of India)
इंदिरा गांधी ने 1942 में फिरोज गांधी से शादी करी, जिनका संबंध गुजराती पारसी परिवार से था लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए।
1950 के दशक में उन्होंने अपने पिता नेहरू को भारत के पहले प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उनकी सहायक के रूप में सेवाएं दी।
1959 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बन गई। 1960 में उनके पति फिरोज गांधी हार्ट अटैक के कारण चल बसे। 1964 में वह संसद के लिए चुनी गई।
27 में 1964 में उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री बने।
इंदिरा गांधी ने सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री का कार्यभार संभाला लेकिन 1966 में लाल बहादुर शास्त्री की भी मृत्यु हो गई और कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया।
इंदिरा गांधी ने कई आर्थिक नीतियां लागू करी और कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया।
उन्होंने भूमि सुधार पर एक कड़ी नीति लागू की और व्यक्तिगत आय व्यक्तिगत संपत्ति और व्यापारिक कंपनियों के लाभों की सीमा निर्धारित कर दी।
उनकी नीतियों में मुख्य आकर्षण था, बैंकों का राष्ट्रीयकरण।
राष्ट्रीयकरण के कारण बैंकों की शाखों की संख्या 8200 से बढ़कर 62000 हो गई और अधिकतर शाखाएं उन ग्रामीण क्षेत्रों में खोली गई, जहां कोई बैंक ही नहीं था।
इसके द्वारा, गरीब तबके को और कृषि आवश्यकताओं के लिए बैंक सेवाएं उपलब्ध कराई गई।
इंदिरा गांधी के नेतृत्व के गुण 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में दिखे जिसका परिणाम बांग्लादेश की मुक्ति के रूप में आया लेकिन युद्ध काफी खर्चीला था।
इसके साथ ही तेल की कीमतें बढ़ाने और औद्योगिक उत्पादन करने से उनकी सरकार के लिए आर्थिक कठिनाइयां बढ़ गई।
जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी की सरकार के विरुद्ध अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया और उन्हें त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया लेकिन उन्होंने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी और आखिरकार सभी राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया गया। इंदिरा और उनकी पार्टी को गठबंधन पार्टी द्वारा प्राप्त कर दिया गया।
गठबंधन पार्टी टिक नहीं पाई जल्दी ही सरकार का पतन हो गया। इंदिरा गांधी ने एक बार फिर 1980 में प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला और चौथी बार सत्ता में वापसी की।
इस कार्यकाल के दौरान कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि देश के अलग-अलग भागों में विभिन्न धर्म और जातियों के बीच संघर्ष फूट पड़ा।
1984 में हथियारों से लैस उग्र सिख अलगाववादियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर जो सिखों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है, में शरण ले ली थी।
उन्हें विवश कर दिया गया कि वह मंदिर के अंदर सेना भेजें। इस ऑपरेशन ब्लू स्टार नाम दिया गया था। उन्हें सिखों के भारी क्रोध का सामना करना पड़ा।
31 अक्टूबर 1984 को उनके ही दो सिख अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी।
एक दिन पहले ही उन्होंने उड़ीसा में अपना आखिरी भाषण दिया था “मैं आज जीवित हूं शायद कल यहां नहीं रहूंगी फिर भी मैं अपनी आखिरी सांस तक देश की सेवा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी मेरे खून की एक-एक बूंद भारत को शक्ति देगी और अखंड भारत को जीवित रखेगी।”
इंदिरा गांधी विश्व सदी की सबसे प्रसिद्ध महिलाओं में से एक थी।
बांग्लादेश युद्ध जीतने के कारण उन्हें दुर्गा कवाटर कहा गया और सशक्त शासन के रूप में उन्हें आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाने लगा।
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