मुर्ग की अकल आई ठिकाने | Moral Story In Hindi

मुर्ग की अकल आई ठिकाने | Moral Story In Hindi

एक मुर्गे की जबरदस्त कहानी जो आपको बहुत बेहतरीन सीख देकर जाएगी। आइए पढ़ते हैं एक छोटी सी प्रेरक कहानी


 अब आई मुर्गे की अकल ठिकाने
(Moral Story In Hindi)


एक बार की बात है सुंदरपुर गांव में बहुत सारे मुर्गे रहा करते थे। गांव के एक शरारती बच्चें राजू ने एक दिन एक मुर्गे को तंग कर दिया।


मुर्गा बहुत ही ज्यादा परेशान हो गया उसने सोचा कि अगले दिन मैं सुबह बाग नहीं दूंगा और सब के सब सोते के सोते ही रह जाएंगे तब जाकर सबको पता चलेगा कि मुर्गे की बाग की क्या वैल्यू होती है और फिर सब मुझे तंग करना भी भूल जाएंगे।


मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोलता है। सभी लोग समय पर उठकर अपने-अपने काम में जुट जाते हैं लोगों पर मुर्गे की बाग न देने का कोई असर नहीं पड़ता। 


इस पर मुर्गे को समझ में आ जाता है कि किसी के होने या न होने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता, काम तो उसकी गैर हाजरी में भी चलता ही रहता है।


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