प्लेटो का जन्म ईसा पूर्व 428 में हुआ था। उनके पिता एरिस्टन एथेंस और मेसेडोनिया सम्राटों के वंश से थे। उनकी मां प्रैक्टिओने पूर्व ग्रीक राजनीतिज्ञ सोलोन वंश से थी।
प्लेटो के पिता की मृत्यु तभी हो गई, जब वह बहुत छोटे थे। उनकी मां ने उनके चाचा, ग्रीक राजनीतिज्ञ और पर्शिया के राजदूत पायरीलैंप्स से पुनः विवाह कर लिया।
प्लेटो : एक महान दार्शनिक
(Plato Biography In Hindi)
प्लेटो के दो सगे भाई, एक बहन और एक सौतेला भाई था।
प्लेटो की दो बड़ी घटनाओं ने जीवन की दिशा निर्धारित कर दी।
एक थी महान ग्रीक दार्शनिक सुकारात से मुलाकात। सुकरात की संवाद शैली और तर्क वितर्क ने प्लेटो को प्रभावित किया।
दूसरी महत्वपूर्ण घटना थी, एथेंस और स्पार्टा के बीच युद्ध जिसमें प्लेटो ने भी थोड़े समय के लिए अपनी सेवाएं दी थी।
एथेंस की पराजय ने इसकी गणतंत्र व्यवस्था को खत्म कर दिया। जब कुछ लोगों की सत्ता को उखाड़ फेंका गया और प्रजातांत्रिक व्यवस्था फिर से बहाल हुई, तो प्लेटो ने थोड़े समय के लिए राजनीति में जाने के लिए विचार किया, लेकिन सुकारात को मिले मृत्युदंड ने इस विचार से मोहभंग कर दिया और वह अध्ययन और दर्शनशास्त्र की ओर मुड़ गए।
सुकारात की मृत्यु के बाद प्लेटो भूमध्यसागरीय क्षेत्र में 12 सालों तक घूमते रहे। उन्होंने पाइथागोरस के साथ गणित और ज्यामिति, भूगर्भशास्त्र, खगोलशास्त्र और धर्म का अध्ययन किया, इसके शीघ्र बाद उन्होंने लिखना शुरू कर दिया।
पहला काल प्लेटो की यात्राओं के दौरान आता है। ऐसा लगता है कि दी अपॉलिजी ऑफ सुकरात, सुकरात की मृत्यु के तुरंत बाद ही लिखी गई थी।
दूसरे लेखन में प्रोटागोरस, यूथायफ्रो, हिप्पियस मेजर एंड माइनर और इयोन है।
इन संवादों में प्लाटों ने प्रयास किया था कि सुकारात के दर्शन और शिक्षाओ को पाठको तक पहुंचाया जाए।
दूसरे कल में प्लेटो ने व्यक्तिगत और समाज के न्याय, साहस, बुद्धिमानी और उदारता के केंद्रीय विचारों पर लिखा।
द रिपब्लिक भी लिखा गया, जिसमें केवल दार्शनिक साम्राटों द्वारा चलाई गई सरकारों के बारे में ही पड़ताल की गई।
तीसरे काल में सुकारात की भूमिका कम हो गई और प्लेटो ने अपने शुरुआती अभौतिक सिद्धांतों पर बारीकी से गौर किया।
उन्होंने कला की भूमिका, जिसमें नृत्य, संगीत, नाटक और वास्तु कला शामिल है, की खोज की। इसके साथ ही नीति शास्त्र और नैतिकता की भी खोज की।
थिओरी आफ फॉर्म्स में प्लेटो ने सुझाव देते हुए कहा कि केवल विचारों का संसार ही निरंतर है और इंद्रियों द्वारा ग्रहण किया गया संसार एक धोखा और परिवर्तनशील है।
385 ईसापूर्व के आसपास प्लेटों ने एक स्कूल आफ लर्निंग की स्थापना की, जो एकेडमी के नाम से जाना जाता है।
एकेडमी के पाठ्यक्रम में खगोलशास्त्र, जीव विज्ञान, गणित, राजनीतिक सिद्धांत और दर्शन को शामिल किया गया था।
प्लेटो ने आशा की थी कि एकेडमी भविष्य के नेताओं को एक ऐसा स्थान उपलब्ध कराएगी, जहां वह इसकी खोज कर सकें कि ग्रीक राज्यों से बेहतर सरकार कैसे निर्मित की जाए।
367 में प्लेटो को डियोन ने आमंत्रित किया…
डियोनिसिस द्वितीय के निजी शिक्षण के तौर पर प्लेटो ने स्वीकार कर लिया। इस आशा के साथ कि उनका अनुभव एक दार्शनिक राजा को उत्पन्न करेगा…
लेकिन डियोनिसिस का पहले डियोन, फिर प्लेटो पर संदेह हुआ कि वह उसके विरुद्ध षड्यंत्र रच रहे हैं। उसने डियोन को देश निकाल दिया और प्लेटो को घर में नजर बंद कर दिया….
अंततः प्लेटो वापस एथेंस और अपनी एकेडमी में लौट आए। उनके अधिक विश्वसनीय शिष्यों में से एक अरस्तू था, जो अपने गुरु की शिक्षाओं को नई दिशाओं में ले गया।
प्लेटो के अंतिम दिन एकेडमी में ही अपने लेखन के साथ बीते। उनकी मृत्यु 347 ईसापूर्व एथेंस में हुई थी।
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