संघर्ष का क्या महत्त्व है | हिंदी प्रेरक कहानी

संघर्ष का क्या महत्त्व है | हिंदी प्रेरक कहानी

 संघर्ष का क्या महत्त्व है

(Moral Story In Hindi)


यह कहानी एक पिता और बेटी की है। एक दिन बेटी अपने पिता से कहती है कि "पापा मैं अब परेशान हो चुकी हूँ मानो जैसे परेशानियों ने मुझे चारों ओर से घेर लिया है। जैसे ही एक परेशानी का हल मिलता है वैसे ही दूसरी परेशानी सामने खड़ी होती है। मैं बहुत दुखी हो चुकी हूँ मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूँ"?



अपनी बेटी के इस तरह बात करने से पिता परेशान होने लगता है, कुछ सोचने लगता है । थोड़ी देर सोचने के बाद पिता अपनी बेटी से कहता है कि "बेटी मेरे साथ रसोई में चलो।" पिता के ऐसा कहते ही बेटी सोच में पड़ गयी और सोचने लगी मैंने अपने पिता को अपनी परेशानी बताई और ये मुझे रसोई में चलने को कह रहे हैं । मायूस होकर बेटी पिता से कहती है "ठीक है पापा चलती हूँ।"


रसोई में जाते ही उसके पिता ने तीन पतिले लिए, और पहले पतिले में उन्होंने आलू डाले और दूसरे पतिले में अंडे डाले, तीसरे पतिले में कॉफी बीन्स डाली। सभी पतिलों में एक समान पानी भरकर पतिलों को गैस के तीन चूल्हों पर एक समान ताप पर उबलने को रख दिया और इंतजार करने लगे।


इसके बीच वह एक-दूसरे से कुछ ना बोले बस उन पतिलों को देखते रहे, बेटी चुपचाप खड़ी कभी अपने पिता को तो कभी उन पतिलों को देखती करीब 10-15 मिनट बीत जाने के बाद पिता ने उन चूल्हो को बंद कर दिया ।


इसके बाद आलू वाले पतिले में से आलू बाहर निकाले, अंडे वाले पतिले में से अंडे बाहर निकाले और कॉफी बीन्स वाले पतिले में से बीन्स को बाहर निकाला और पिता ने अपनी बेटी से कहा " बताओ तुमने क्या देखा "?


बेटी ने जबाब दिया " आलू, अंडे, कॉफी बीन्स पक चुके हैं " पिता ने कहा " आलू को देखकर बताओ कि आलू में पहले और अब में क्या फर्क है " बेटी ने कहा " आलू उबलने से पहले सख्त थे, उबलने के बाद आलू मुलायम हो गये हैं।


अब पिता ने अंडो से छिलके निकाले को कहा बेटी ने ठीक ऐसा ही किय, अंडो को चिलकों से बाहर निकाला और पिता ने पूछा " पहले अंडो और अब अंडो में क्या फर्क है " बेटी ने कहा " पहले अंडे ऊपर से सख्त और अंदर से तरल थे।अब अंडो को छिलके से बाहर निकाल ने के बाद अंडे अंदर से सख्त हो गए हैं"।


पिता ने कहा "अब कॉफी बीन्स के बारे में बताओ"

बेटी बोली " कॉफी बीन्स पहले अलग अलग थी अब उबलने के बाद पानी के साथ मिल गयी है और महक भी आ रही है ।


अब पिता ने अपनी बेटी को समझाया कि जैसे इन तीनों चीज़ों को एक समान पानी में, एक समान ताप पर एक ही समय पर उबाला फिर भी परिणाम अलग -अलग आये । हमारी ज़िन्दगी भी ऐसी ही है हमारी ज़िन्दगी में कोई ना कोई परेशानी जरूर आती है लेकिन हमें इस परेशानी को कैसे संघर्ष करके हल करना है ये सिर्फ हमारे ऊपर है ।


कहानी से सीख
(Moral of the story)


दोस्तों! परेशानी सबकी लाइफ में आती हैं लेकिन हमें उन परेशानियों से कैसे बाहर आना है ये सिर्फ हम पर निर्भर करता है। जब परेशानी आती है तो वह परेशानी किसी के लिए बहुत बड़ी समस्या बन जाती है तो किसी के लिए वह समस्या अवसर बन जाती है। ये सब सोच पर निर्भर करता है।


हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि जब तक जीवन है तब तक संघर्ष है। ज़िन्दगी में परेशानिया तो आती जाती रहती है लेकिन हमें उन परेशानियों का डट कर सामना करना चाहिए ।


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