एक सफर
(Moral Story In Hindi)
एक यात्री का सपना होता है कि वो हिमालय की चोटी पर चढ़ेगा, उसे पूरा करने के लिए यात्री पूरी शिद्दत से लग जाता है।
लेकिन क्या हुआ जब वो हिमालय की चोटी पर पहुंचने ही वाला था तो काफी थकान के कारण उसके मन में निराशा घर कर गई कि अब वो अपना अपना कभी भी पूरा नहीं कर पाएगा।
यात्री सोच में डूब गया कि अब मैं अपना सपना कभी भी पूरा नहीं कर पाऊंगा। उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी।
तभी यात्री की मुलाकात रास्ते में एक बुजुर्ग ज्ञानी पंडित से होती है।
यात्री उनसे कहता है कि मैं इस हिमालय की चोटी पर पहुंचना चाहता हूं लेकिन मैं बहुत थक चुका हूं और अब मुझमें और हिम्मत मालूम नहीं पड़ती कि मैं इस विशालकाय चोटी पर जा पाऊं।
तब ज्ञानी पंडित बोलते हैं तुम इसलिए नहीं हिम्मत हारें कि तुम थक गए हो। तुम तो इसलिए हिम्मत हारे हो क्योंकि तुम हर दम "हिमालय पर मैं कब पहुंचूंगा" ये ही सोच रहे हो।
नजाने अभी और कितनी दूर है, और पता नहीं कितना चलना पड़ेगा। तुम ये सब सोच सोचकर परेशान हो रहे हो।
तुम्हें बस अपने अगले कदम पर ध्यान लगाना है फिर तुम्हें निश्चित रूप से ही सफलता मिल जाएगी।
यात्री ने मन ही मन ज्ञानी की बात पर सोच विचार किया फिर उसने अपने अगले लक्ष्य पर ही ध्यान दिया और आखिर में वो हिमालय की चोटी पर पहुंच गया।
सीख
(Moral Of The Story)
अगर लक्ष्य हमारा एक हो और हम उसे पूरा करने के लिए शिद्दत से लग जाए तो वो लक्ष्य निश्चित रूप से ही पूरा हो जाता है।
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