सुनो सबकी करो अपने मन की | Moral Story For Kids

सुनो सबकी करो अपने मन की | Moral Story For Kids

हिंदी की प्रेरक कहानी, जो कि आपको एक बेहतरीन सीख देगी। आइए पढ़ते हैं ये बेहतरीन मोरल स्टोरी :

सुनो सबकी करो अपने मन की 

(Moral Story In Hindi)


जबलपुर गांव बड़ा ही खूबसूरत गांव था। वहां सीता नाम की लड़की रहती थी। सीता हर काम में अच्छी थी।



वह केवल पढ़ने लिखने में ही नहीं बल्कि नृत्य, गाना गाने, खाना बनाने, और भी बहुत से कामों में अच्छी थी।


उस लड़की की एक दोस्त थी सपना। सीता सपना को अपनी बेस्ट फ्रेंड मानती थी।


मगर सपना, सीता से मन ही मन जलती थी।


सपना को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था कि लोग केवल सीता की ही तारीफ करते रहें। 


सीता की एक और सहेली थी जिसका नाम रूपा था। वह बहुत कठोर बोली बोलती थी इसलिए उससे कोई बात तक नहीं करता था।


मगर वह लड़की मन की काफी साफ थी और वह सीता से जलती नही थी।


बल्कि सीता को हमेशा कहती थी कि वह कभी भी आसानी से किसी पर भी भरोसा न करे, मगर सीता इस बात को नजरअंदाज कर देती थी। 


कुछ समय तक ऐसा ही चलता रहा....


हर बार जब भी सीता किसी की बात को जल्दी मान लेती थी तब रूपा उसे समझाती थी


मगर सपना इस बात का फायदा उठाती थी।


एक बार की बात है जब स्कूल में नेशनल क्विज कंपटीशन का नोटिस आया तो सभी विद्यार्थियों ने इसमें पार्टिसिपेट किया।


लेकिन, सपना सीता को इस प्रतियोगिता में जीतते हुए नहीं देखना चाहती थी।

इसलिए उसने सीता को कहा कि इस प्रतियोगिता में बहुत सारे ऐसे विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं, जिनके आगे हम कुछ नहीं है। इसलिए तुम इस प्रतियोगिता में हिस्सा मत लो।


और, सीता की आदत तो ऐसी ही थी। उसने सपना की कही बात मन ली।


और, अपना नाम प्रतियोगिता से वापिस ले लिया। 


इसके बाद स्कूल में प्रतियोगिता आयोजित करवाने वालों ने सीता का नाम लिस्ट से हटाकर उसके स्थान पर रूपा का नाम लिख दिया।


कुछ दिन बाद जब क्विज प्रतियोगिता शुरू हुई तो सीता दर्शकों की भीड़ में शामिल थी और उसने देखा कि जिस तरह के सवाल प्रतियोगिता में पूछे गए थे, वह काफी सरल थे और उसे काफी अफसोस हुआ।


उस प्रतियोगिता को रूपा ने एक तरफा जीत लिया।


बाद में रूपा ने उसे समझाया कि तुम्हे कभी भी बिना सोचे किसी की बात पर भरोसा नहीं करना चाहिए।


सीख
(Moral Of The Story)


अक्सर, हम किसी काम को शुरू करने से पहले बहुत लोगों से राय लेकर हम किसी साधारण काम को भी मुश्किल बना देते हैं। ये ही हमारी गलती हमें आसान काम को भी मुश्किल बना डालती है। जब ही तो कहा गया है सुनो, सबकी लेकिन करो अपने मन की।


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