यादों का दृश्य | Moral Story In Hindi

यादों का दृश्य | Moral Story In Hindi

हम इस जीवन में अपने जुनून, उत्साह और दृढ़ संकल्प से सबकुछ पा सकते हैं। आइए पढ़ते हैं ये बेहतरीन रोचक प्रेरणादाई कहानी :




यादों का दृश्य 

(Moral Story In Hindi)


एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम रुपेश था, रुपेश बेहद ही होनहार और समझदार था।


उसके पिता एक वॉचमैन थे और माँ भी घरों में नौकरानी का काम करती थी। 


रुपेश को अक्सर कोई न कोई पुरस्कार मिलता रहता था लेकिन उसके हालत में कोई बदलाव नहीं आ रहा था। 


दोस्तों के साथ वो अक्सर मैदान में खेलने जाया करता था और उसके दोस्त भी उसे बहुत मानते थे।


लेकिन कुछ लोगों को ये बात अच्छी नहीं लगती थी कि नौकरानी का बेटा होनहार है और उसके दोस्त बहुत अच्छे घर से है। 


कई बार घर से मना करने के बाद भी रुपेश दोस्तों के साथ खेलने और घूमने निकल जाया करता था। 

रुपेश जब एक दिन अपने दोस्तों के साथ खेलने गया तो वह उसके दोस्तों और अन्य विरोधी लोगों के बीच झड़प होने लगी। 


रुपेश ने दोनों तरफ खेलने वाले लोगो को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। 


इसी बीच विरोध में खेलने वाली टीम से एक लड़के ने रुपेश के साथ झगड़ना शुरू कर दिया।


और लड़ते लड़ते उसके मुँह से ये निकल गया कि नौकर के बेटे होकर बड़े न बनो, नौकर का बेटा नौकर ही बनता है। 


ये बातें सुनते ही रुपेश को बहुत खराब लगा और उसे शर्मिंदगी महसूस हुई।


वो घर आया तो उसकी माँ ने उसे उदास देखकर उसकी परेशानी का कारण पूछा तो रुपेश ने सारी बात बता दी। 


उसकी माँ ने उसे समझाया कि किसी के कहने से कुछ नहीं होता, अपने कर्मो के मालिक हम खुद होते हैं। 


सोचने से कुछ नहीं होगा बेहतर ये है कि तुम अपने पर ध्यान दो और कुछ बनकर उन सबका मुँह बंद कर दो।  


रुपेश को ये बात समझ में आयी और उसने ठानी कि अब वह कुछ बनकर ही रहेगा और फिर उसने अपने कर्मो को सही दिशा दी।


और एक दिन एक बड़ी सी कंपनी में रुपेश को नौकरी मिल गई और अपने लगातार प्रयासों से रुपेश को और तरक्की मिली।


और, वह उस बड़ी कंपनी का मालिक बन गया।


और अब उसका उठना और बैठना बड़े लोगों के साथ होने लगा।  


धीरे धीरे उसकी बचपन की यादे भी धुंधली हो गयी। 


तभी एक दिन जब वह अपनी कार में बैठने के लिए लिफ्ट से नीचे पार्किंग की तरफ जा रहा था।


उसने देखा कि पार्किंग में एक पढ़ी लिखी महिला ड्राइविंग सीट पर बैठी है और सिक्योरिटी महिला गार्ड के साथ बहस कर रही है।


रुपेश ने देखा कि महिला उस गार्ड महिला के साथ अपशब्दों का प्रयोग कर रही है।


वह कुछ कह पता उससे पहले उसकी नज़र महिला गार्ड के पीछे खड़े लड़के पर गयी। 


वो लड़का पीछे सहमा सा खड़ा था और बहस से परेशान हो रहा था। 


ये दृश्य देखते ही रुपेश के सामने उसका बचपन दिखाई देने लगा।


और वह शब्द कि नौकर का बेटा नौकर ही रहता है, उसके कानों में गूंजने लगे और रुपेश कुछ न कह पाया। 


उसकी आँखें भर गई और होंठ कुछ न कह पाए और रुपेश अपनी यादों को संजोता हुआ वहां से चला गया।


शिक्षा

(Moral Of The Story)


इस कहानी से ये शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी जमीन से जुड़े रहना चाहिए और जिन प्रयासों से आप सफल हुए है उन बातों को और उन लोगो को कभी नहीं भूलना चाहिए।


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