जब आजादी पाने का जुनून होता है न तो उसके आगे कुछ नहीं सूझता, आइए जानते हैं लक्ष्मी सहगल जी के बारे में इस छोटी सी सच्ची कहानी में :
लक्ष्मी सहगल
(Lakshmi Sahgal)
भारत की आजादी में अहम भूमिका अदा करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में लक्ष्मी सहगल जी का नाम भी शामिल है।
सुभाष चंद्र बोस की सहयोगी रही कैप्टन लक्ष्मी सहगल शुरुआती दिनों से ही भावुक और दूसरों की मदद करने वाली रही। पेशे से लक्ष्मी सहगल एक डॉक्टर थी।
1940 में वह सिंगापुर चली गई। वह चाहती तो सिंगापुर में रहकर चिकित्सा के क्षेत्र में अपने करियर को आगे बढ़ा सकती थी।
वहां उन्होंने गरीब भारतीयों और मजदूरों की सेवा करने के लिए चिकित्सा शिविर लगाकर उनका इलाज करना शुरू किया। इसी दौरान एक बार वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस से मिली और आजाद हिंद फौज में शामिल हो गई।
सुभाष चंद्र बोस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आजाद हिंद फौज में रहते हुए लक्ष्मी सहगल ने कई सराहनीय काम किए।
उन्हें जिम्मेदारी मिली कि फौज में महिलाओं को भर्ती होने के लिए प्रेरित करना और उन्हें फौज में भर्ती कराना। लक्ष्मी जी ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।
जिस जमाने में औरतों का घर से निकलना अच्छा नहीं समझा जाता था, उस समय उन्होंने 500 महिलाओं की एक फौज तैयार की जो एशिया में अपनी तरह की पहली महिला फौजियों की विंग थी।
उनके नेतृत्व में आजाद हिंद फौज की महिला बटालियन 'रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट' ने कई जगहों पर अंग्रेजों से मोर्चा लिया।
और,
अंग्रेजों
को
बता
दिया
कि
देश
की
नारियां
जरूरत
पड़ने
पर
बंदूक
उठाकर
दुश्मनों
का
सामना
कर
सकती
है।
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