मदन लाल ढींगरा | Madan Lal Dhingra Kon The

मदन लाल ढींगरा | Madan Lal Dhingra Kon The

भगत सिंह जैसे शहीद-ए-आजम के लिए प्रेरणा का स्रोत बने और उधम सिंह जैसे क्रांतिकारी के लिए पथ प्रदर्शक बने मदन लाल ढींगरा।

मदन लाल ढींगरा

(Madan Lal Dhingra)


जब इंग्लैंड में ब्रिटिश खुफिया पुलिस के प्रमुख कर्नल वायली पर गोलियां बरसा रहे थे तो देश के युवा क्रांतिकारी उनसे प्रभावित होकर देश की आजादी का सपना देखने लगे थे।


मदन लाल ढींगरा भी चाहते तो अपने भाइयों की तरह ऐशो आराम की जिंदगी बसर कर सकते थे लेकिन कॉलेज के दिनों से ही उनके मन में स्वराज की भावना आ चुकी थी


अपने छात्र जीवन में ही उन्होंने ब्रिटिश कपड़े से बने अपने कोर्ट को जला दिया था। उनके इस कदम ने दूसरे विद्यार्थियों के अंदर भी स्वदेशी की भावना भर दी थी।


कॉलेज प्रशासन ने उन पर ठोस कार्रवाई की। उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया लेकिन वे स्वदेशी को लेकर अड़े रहे। इसके बाद उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया।


लंदन में 'इंडिया हाउस' नाम की एक जगह थी। इंडिया हाउस उन राष्ट्रभक्त भारतीय युवाओं का एक अड्डा था जो अपने देश को अंग्रेजों की कैद से आजाद करवाना चाहते थे।


यहां की विचारधारा से प्रभावित होकर मदन लाल ढींगरा ने भारतीय विद्यार्थियों के साथ इंडिया हाउस में रहने का संकल्प ले लिया। 


अंग्रेजों ने इंडिया हाउस में मदन लाल ढींगरा की बढ़ती गतिविधियों की खबरें उनके पिता तक पहुंचाने शुरू कर दी।


इससे उनके पिता बहुत नाराज हो गए थे उन्होंने बेटे को उपदेश भरे कई पत्र लिखे लेकिन मदन लाल ढींगरा अपने पथ से जरा भी नहीं डगमगाए।


1 जुलाई 1909 की शाम को 'इंडियन नेशनल एसोसिएशन' के वार्षिक उत्सव में भाग लेने के लिए भारी संख्या में भारतीय और अंग्रेज इकट्ठे हुए थे…


इसमें कर्जन वायली भी शामिल था… 


कर्जन का यह रौब था कि उसे 'आई ऑफ द एंपायर इन एशिया' कहा जाता था…


कार्यक्रम के दौरान मदन लाल ढींगरा कर्जन वायली से कुछ खास बात करने के के बहाने उसके नजदीक पहुंच जाते हैं और उसे गोलियों से मौत के घाट उतार दिया…


अब मदनलाल ढींगरा ने खुद को भी खत्म करने के लिए बंदूक अपने माथे पर लगाई लेकिन गोलियां खत्म हो चुकी थी… 


उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और मात्र 26 साल की उम्र में ही उन्हें फांसी दे दी जाती है…. ऐसे वीर योद्धा थे हमारे मदन लाल ढींगरा जी।


ये थी एक भारतीय एक नौजवान स्वतंत्रता सेनानी मदनलाल ढींगरा की अविश्वसनीय, हैरतअंगेज सच्ची कहानी… जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपनी जान की परवाह ना करते हुए देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया।


ऐसे वीर सच्चे सपूत स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन से हमें अपने जीवन में भी आदर्श रूपी संस्कारों को पिरोना चाहिए ताकि हम भी आजादी के मतवालों के सपनों को साकार कर सकें और अपने देश को समृद्ध और ताकतवर बना सकें।


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