"जब जब बात चलेगी हिंदुस्तान की
बाजी लगा देंगे जान की"
आज की इस पोस्ट में हम बात करेंगे आजादी के सुपर हीरो जनरल मोहन सिंह जी के बारे में। जब हमें आजादी मिली तो इन freedom fighter का योगदान कम नहीं था अपितु इनके योगदान के कारण ही भविष्य में आजादी की नीव तैयार हुई। आइए पढ़ते हैं General Mohan Singh Biography Hindi Mein
जनरल मोहन सिंह
(General Mohan Singh : Freedom Fighter)
जनरल मोहन सिंह एक भारतीय सेना के अधिकारी थे। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे अहम किरदार थे।
जनरल मोहन सिंह ने साउथ वेस्ट एशिया में भारत की पहली राष्ट्रीय सेना बनाई थी और उसका नेतृव भी किया था। इस सेना के संचालन में उनका योगदान हैरतंगेज था।
आजाद हिंद फौज की नीव रखने वाले भी जनरल मोहन सिंह ही थे जिसका बाद में संचालन नेताजी सुभाषचंद्र जी ने किया था…
दूसरे विश्व युद्ध जो कि 1939 से 1945 के बीच लड़ा गया था उसकी शुरुआत में जनरल मोहन सिंह बर्मा (यानि आज का म्यांमार) में लड़ रही भारतीय ब्रिटिश सेना की पंजाब बटालियन के कप्तान भी थे….
जापान संघर्ष के दौरान ज्ञानी प्रीतम सिंह और मेजर फुजीहारा जो कि जापानी अधिकारी थे उन्होंने मोहन सिंह से भारतीय सेना बनाने की विनती की थी….
जितरा में वह हार गए और जापानी फौजियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया…
जापान के जनरल फुजीहारा को यह देख हैरानी हुई कि अंग्रेजो की तरफ से युद्ध में शौर्य और पराक्रम दिखाने वाले लोग भारतीय थे जिन्हें अंग्रेजों ने अपना गुलाम बनाकर रखा हुआ था….
जापान के जनरल ने मोहन सिंह की मुलाकात गदर पार्टी के संचालक से करवाई। उन्होंने मोहन सिंह को सारी स्थिति समझाई। मोहन सिंह को सारी बात समझ में आ गई
…
उनकी आंखों पर चढ़ा हुआ चश्मा उतर गया। विद्रोह की भावना मोहन सिंह के मन में आ गई। नतीजा यह हुआ कि अब तक अंग्रेजों की तरफ से लड़ने वाले मोहन सिंह ने उनके खिलाफ संघर्ष का झंडा बुलंद करते हुए भारतीय युद्ध बंदियों की एक सेना बनाने का निश्चय करा जिसका नाम इंडियन नेशनल आर्मी रखा गया।
फुजीहारा ने लगभग 40000 भारतीय सेना के जवान जनरल मोहन सिंह को सौंप दिया था ताकि भारतीय सैनिक अंग्रेजो से मुकाबला कर सकें…
पहले तो इसमें जापान द्वारा युद्ध बंदी बना लिए गए भारतीय सैनिकों को ही लिया गया….
लेकिन मौका मिलते ही इसमें वर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवक भी शामिल हो गए थे…
इस तरह भारतीय राष्ट्रीय सेना की आधारशिला रखी गई और इसे भविष्य में आजाद हिंद फौज कहा गया और नेताजी को सौंप दिया गया।
इसीलिए मोहन सिंह का नाम उन स्वतंत्रता सेनानियों की श्रेणी में जरूर आना चाहिए जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दिया। यह देश के लिए प्यार ही है कि देश के नाम पर कोई देशभक्त के जज्बातों से नहीं खेल सकता, वह मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं।
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