विष्णु शर्मा जी की रोचक पंचतंत्र की कहानियों को पढ़ने का मजा ही अलग हैं। मैं बचपन से ही उनकी कहानियों का जेब्रा फैन रहा हूं और आज भी उनकी कहानियां बड़े ही चांव से पढ़ता हूं। आइए पढ़ते हैं उनकी एक chhoti si kahani hindi mein
संगठन में ही शक्ति है
(Panchtantra Ki Kahani Hindi Me)
रामलाल किसान के चार बेटे थे। चारों आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे। बूढ़ा किसान रामलाल अपने बेटों को समझाते समझाते परेशान हो गया कि लड़ाई झगड़ा मत करो…. मत करो लेकिन समझाने का कोई भी फ़ायदा नहीं हुआ।
अब रामलाल ने दिमाग लगाया और उन चारों को बुलाकर एक लकड़ी का बड़ा बंडल दे दिया और उसे तोड़ने को कहा।
रामलाल के चारों बेटों में से कोई भी उस बंडल को तोड़ नहीं पाता।
जब कोई लकड़ी के बंडल को नहीं तोड़ पाया तो रामलाल ने उनसे इस बंडल को खोलकर तोड़ने को कहा।
फिर क्या था उन चारों ने एक एक करके चारों लकड़ी के बंडल तोड़ दिए।
अब रामलाल ने उनको एक बहुत ही सुंदर अडवाइस दी और कहा यदि तुम लकड़ी के बंडल की तरह इकठ्ठे यानि संगठित रहोगे तो तुम्हें कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा और अगर तुम लड़ते झगड़ते रहोगे तो हर कोई तुम्हारा फ़ायदा उठा लेगा।
सीख
(Moral Of The Story)
एकता में ही बल है यानि की हमें मिल जुलकर रहना चाहिए इसमें ही सबका लाभ है।
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1 Comments
Inspiring story
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