विष्णु शर्मा जी की लाजवाब कहानियों की बात ही अलग है उन्हें पढ़कर जो उन्माद और रोमांच बनता है वो रोके नहीं रुकता। आइए पढ़ते हैं Moral Story In Hindi
ठग और साधु की कहानी
(Panchtantra Ki Kahani)
एक ब्राह्मण था जिसका नाम था देव शर्मा ! वह दान में मिले हुए कपड़ों को बेचकर धन इकट्ठा करता था।
अपने धन को बचाए रखने के लिए वह उसे एक कपड़े की पोटली में बांधकर हमेशा बचाए रखने की कोशिश में लगा रहता था। वह कभी अनजान व्यक्ति पर विश्वास नहीं करता था।
एक चोर था अष्टभूति नाम का। वह देव शर्मा नामक ब्राह्मण के पास हमेशा एक पोटली बंधी हुई देखा करता था और सोच विचार करता कि इसमें जरूर कुछ बेशकीमती चीज है। इसे मैं अवश्य चुराऊंगा और इसे ठगूंगा इससे पहले मुझे इसका विश्वास जीतना होगा।
अष्टभूति एक दिन! देव शर्मा के पास गया और वहां जाकर उसने प्रणाम किया और कहा मेरा यहां कोई नहीं है। मैं इस अकेला हूं मुझे अपना शिष्य बना लीजिए।
मैं अपने पूरे जीवन में आपकी सेवा करना चाहता हूं…
इतना सुनकर देव शर्मा का हृदय प्रसन्न हो गया और उन्होंने उसे अपने शिष्य के रूप में स्वीकार भी कर लिया…
इतना कहने के बाद उन्होंने एक शर्त रखी कि मेरी पोटली से तुम दूर रहोगे कभी हाथ मत लगाना।
अष्टभूति देव शर्मा के साथ निष्ठावान शिष्य की तरह रहने लग गया…
एक दिन देव शर्मा को अपने किसी पुराने शिष्य का निमंत्रण आया…
इस निमंत्रण को स्वीकार करके अष्टभूमि और देव शर्मा दोनों उसके घर गए…
वहां कमरे में बहुत सारा सोना पड़ा हुआ देखा। अष्टभूति देव शर्मा का विश्वास जीतने के लिए ढोंग करने लगा और कहने लगा, मलिक यह सोना तो हमारा नहीं है… हमें इसे उन्हें वापस कर देना चाहिए।
यह सब देखकर देव शर्मा मन ही मन में सोच विचार करने लगे की यह तो बहुत ही ईमानदार व्यक्ति है अब मुझे इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। यह मेरी पोटली नहीं चुरायएगा।
जब वह वापस लौट रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक नदी मिली। देव शर्मा ने नहाने के बारे में सोचा।
अष्टभूति से कहा मैं नहाने जा रहा हूं तुम मेरे सामान का और मेरी पोटली का ध्यान रखना… मैं जल्द ही नहाकर आता हूं…
देव शर्मा के जाते ही अष्टभूति ने पोटली उठाई और वहां से फुर्र हो गया।
नदी के दूसरे किनारे बहुत सारी बकरियां थी जो आपस में लड़ रही थी। देव शर्मा का ध्यान वहीं पर लगा था।
देव शर्मा जब नहाकर लोटा और उसने वहां अष्टभूति को और अपने धन की पोटली को ना पाया तो उसने पहले बहुत आवाज लगाई।
जब उसे कोई आवाज ना सुनाई दी तब उसे समझ आया कि वह एक ठगी था।
उसने एक अनजान व्यक्ति पर बहुत जल्दी विश्वास कर लिया था जिस कारण उसकी सारी संपत्ति अब जा चुकी थी उसके पास कुछ नहीं बचा था।
सीख
(Moral Of The Story)
किसी भी अनजान व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए
Read Also :
मां का प्यार Moral Story Hindi Mein
हार के आगे जीत है | Hindi Story For Kid
1 Comments
beautiful story
ReplyDeleteIf you have any doubts let me know and thanks for giving your valuable time to visit my site.