रिस्पेक्ट एंड लिसनिंग ये बहुत ही वजनदार शब्द हैं इन शब्दों को हमें बड़े ही ध्यान से अपने जीवन में इस्तेमाल करना चाहिए। हमें इन शब्दों को अपने जीवन में उतारना चाहिए। आइए पढ़ते हैं एक छोटी सी प्यारी सी moral story in hindi
राजा और उसकी प्रजा
(Moral Story In Hindi For Kids)
सोनपुर गांव का राजा हरि सिंह बहुत ही प्रिय राजा था। राजा बहुत ताकतवर और सुंदर था। सारी प्रजा अपने राजा को बहुत मानती थी।
लेकिन, वो कहते हैं न लाखों अच्छी आदतें होने का बावजूद भी कोई न कोई बुरी आदत भी व्यक्ती के भीतर होती है। ऐसा ही राजा का भी हाल था।
राजा का सबसे बड़ा दोष यह था कि राजा किसी की बात सुनता नहीं था और राजा सिर्फ अपनी ही बात मनवाने को आतुर रहता था।
एक बार की बात है संत पगड़ी वाले राजा हरि सिंह के दरबार में आए और वो जैसे ही अपनी परेशानी राजा को बताने को हुए तब ही राजा ने उनकी शिकायत सुने बिना ही पगड़ी वाले बाबा को 2 चांदी की चैन देकर मामले को रफा दफा करने का फैसला सुना दिया….
अब पगड़ी वाले बाबा भी बेचारे राजा के आगे क्या ही बोलते….वो बेचारे चुप चाप अपने घर को लौट गए।
लेकिन, घर पर चोर बैठे हुए थे और पगड़ी वाले बाबा की बची कुची चैन भी उन्होंने छीन ली और उन्हें घर से भी बहार भगा दिया….
मानो चोरों को किसी बात का कोई खौफ ही नहीं था…
चोरों ने अब राजा के मंत्रियों के घरों को लूटने की योजना बनाई और वो अपनी योजना में कामयाब भी हो गए…. उन चोरों ने राजा के सभी सिपाहियों के घर को लूट लिया था….
मंत्री अपनी शिकायत राजा को बताते लेकिन राजा तो उन्हें बताने से पहले ही कुछ भी अनाब शनाब कहकर न्याय कर देता….जिसकी वजह से प्रॉब्लम जस की तस ही बनी रहती।
अब चोरों ने बहुत लूट पाट कर ली थी….लेकिन उनका मन अभी भी नहीं भरा था इस बार उन्होंने राजा के महल में चोरी की योजना बनाई…
लेकिन राजा के यहां सख्त पहरेदारी की वजह से चोर पकड़े जाते हैं।
अब, राजा उन चोरों को जेल में डाल देता हैं।
कुछ समय बाद….
चोरों द्वारा हड़पी गई सभी चीजें वापिस लोगों को मिल जाती हैं।
अब पगड़ी वाले बाबा दुबारा राज के दरबार में आते हैं और राजा की कुछ भी बात सुने बगैर अपना बोलना शुरू कर देते है….और राजा को जल्दी जल्दी चोरों को सारी करतूत बता देते हैं….
राजा को अपनी बेवकूफी और घमंड पर पछतावा होता है।
पगड़ी वाले बाबा कहते है महराज काश आप हमारी समस्याएं पहले सुन लेते तो आज आपके यहां भी चोरी की घटना नहीं हुई होती।
अंततः राजा जनता की सुनने लगता हैं और सभी की सुनने के बाद ही राजा फैसले करते हैं।
सीख
(Moral Of The Story)
हमें सभी की भावनाओं का मान सम्मान करना चाहिए। हम सामने वाले व्यक्ती की सुनेंगे तो वो भी आपकी सुनेगा। खुद की गाने से कुछ लाभ नहीं होता।
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