ज़्यादा बोलने का फल क्या होता है | Moral Story In Hindi

ज़्यादा बोलने का फल क्या होता है | Moral Story In Hindi

जीवन बड़ा अनमोल है ज्यादा बोलना सदैव चिंता खड़ी करता है। आइए इसी संदेश को हम एक छोटी सी पंचतंत्र की कहानी से समझते हैं। आइए पढ़ते हैं Panchatantra Story In Hindi 

Panchtantra Story In Hindi 

ज़्यादा बोलने का फल क्या होता है
(Moral Story In Hindi)


सोनपुर के किनारे एक तालाब था उस तालाब में ढेर सारे हंस रहते थे और उसी तालाब में एक कछुआ भी रहता था। उस कछुए में एक खास बात थी कि उससे बोले बगैर रहा नहीं जाता था, और इसी बुरी आदत के कारण वो हर जगह कुछ भी बिना किसी की सुने बोल दिया करता था। 


कछुए और हंस में बहुत गहरी दोस्ती थी कयोंकि सभी एक तालाब में रहते थे। सारे हंस कछुए से खूब मजे लिया करते थे और कछुआ भी उनके साथ बहुत खुश रहा करता था।


एक बार की बात है जब हंस उड़ते हुए आसमान की सैर से आ रहे थे तो उन्होंने कुछ साधु लोगों से बोलते हुए सुन लिया कि सोनपुर गांव में सूखा पड़ने वाला है और इस वजह से यहां का तलाब भी जल्द ही सूख जाएगा….


अब क्या था सारे हंसो ने ये बात कछुए को भी बता दी।


अब कछुआ बहुत परेशान हो गया और कछुआ कहने लगा मुझे यहां से निकलना है अब मुझसे यहां दो पल भी न रहा जाएगा,,,, हंस भैया मुझे तो आप सब किसी दूसरे सुरक्षित गांव में छोड़ आओ….


अब क्या था कछुए की बेचैनी और लगातार पड़ पड़ बोलने की वजह से तीनों हंसों ने एक लकड़ी मुंह में फंसाकर उसपे कछुए को लटका दिया और उसे बिल्कुल भी न बोलने की सलाह दी….

कछुए ने उनकी बात मान ली….और सभी अपनी यात्रा पर निकल पड़े…


अब ये नजारा जब बच्चों ने नीचे देखा तो वो चिल्लाने लगा अरे !!! देखो देखो गजब हो गया कछुआ आसमान में उड़ रहा है ….


अब कछुआ उन बच्चों की बात सुनकर चुप न रहा सका और जैसे ही उसने बोलने के लिए मुंह खोला वो धड़ाम से नीचे गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई।


सीख 
(Moral Of The Story)


ज्यादा बोलना सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। हमें हर दम उतना ही बोलना चाहिए जितना की जरुरत हो और हमें परिस्थिति को समझकर ही बोलना चाहिए।


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