मिर्जा गालिब | Mirza Galib Jivni In Hindi

मिर्जा गालिब | Mirza Galib Jivni In Hindi

मिर्जा गालिब उर्दू शायरी के सर्वकालिक प्रसिद्ध शायरों में से एक हैं


मिर्ज़ा ग़ालिब का नाम उर्दू शायरी का पर्यायवाची है। उनका वास्तविक नाम मिर्जा असदुल्ला बैग खान था


मिर्जा गालिब 

(Mirza Ghalib Biography In Hindi)


ग़ालिब तो उनका कलमी नाम है। गालिब का जीवन वास्तव में दिलचस्प है और उनके जीवनी पढ़ना रोचक अनुभव है। 


गालिब का जन्म आगरा में 27 दिसंबर 1796 को एक कुलीन तुर्की परिवार में हुआ था। 


ग़ालिब की पढ़ाई लिखाई के बारे में अधिक जानकारी नहीं है। उनके दोस्त दिल्ली के कुछ सबसे सम्मानित और बुद्धिमान लोगों में से थे। 


1810 में बहुत छोटी उम्र में ही उनका विवाह हो गया था। 


गालिब के घर सात बच्चों का जन्म हुआ लेकिन उनमें से कोई जीवित नहीं बचा। 


यह दर्द उनकी शायरी में भी झलकता है। उनकी पत्नी का व्यक्तित्व भी उनके बिल्कुल विपरीत था। 

वह भगवान से डरने वाली और बड़ी संकोची स्वभाव की थी। इसके विपरीत गालिब बेफिक्र और काफी मिलनसार थे। 


शराब और जुआ ग़ालिब की कमजोरियां थी। हालांकि जुआ खेलना एक अपराध माना जाता था। ऐसा लगता है गालिब ने कभी इसकी परवाह नहीं की। 


वह कहते थे कि स्वयं कट्टर मुस्लिम नहीं है। गालिब का एक वेश्या से प्रेम संबंध था जो बड़ा चर्चित रहा। 


वह उनकी शायरी की दीवानी थी। यहां तक कि दिल्ली के एक पुलिस स्टेशन में इस प्रेम संबंध के विरुद्ध उनके खिलाफ एक रपट भी दर्ज कराई गई थी। 


गालिब ने कभी संतोषजनक आजीविका कमाने की कोशिश नहीं की और अपने जीवन को अपने मित्रों की उदारता या हुकूमत के आर्थिक संरक्षण पर छोड़ दिया था।


हालांकि, उस समय कोई उन्हें इतना महत्व नहीं देता था, जिसके वह हकदर थे। 


प्रसिद्धि तो उन्हें बहुत बाद में मिली। 


आज वह उर्दू के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले शायर हैं। आखिरी मुगल बादशाह और शेयर बहादुर शाह जफर उनके हितेषी और शुभचिंतक थे। 


15 फरवरी 1869 को इस महान शायर ने अंतिम सांस ली। 


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